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अब और तेज होगी मेवाड़ राजघराने की लड़ाई, विश्वराज की इस चाल से घबराए लक्ष्यराज!

चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के दाह संस्कार में नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ भी शामिल हुए। जब लक्ष्यराज ने उन्हें देखा तो हाथ जोड़ लिया। उनके साथ शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर भी मौजूद थे।

Vishvraj Singh-Lakshyaraj Singh
  • March 17, 2025 10:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 days ago

उदयपुर/जयपुर। राजस्थान के उदयपुर के मेवाड़ राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का आज-सोमवार को अंतिम संस्कार हुआ। बेटे लक्ष्यराज सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए। बता दें कि अरविंद का कल-रविवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया था।

विश्वराज सिंह भी शामिल हुए

नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ भी अपने चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए महासतिया पहुंचे हुए थे। लक्ष्यराज ने जब उन्हें देखा तो हाथ जोड़ लिया। उनके साथ शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर भी मौजूद थे।

चार महीने पहले हुई थी तनातनी

बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने में अरविंद सिंह मेवाड़ के बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ (विश्वराज सिंह के पिता) का निधन हुआ था। उस वक्त सिटी पैलेस (उदयपुर) में धूणी दर्शन को लेकर काफी ज्यादा विवाद हुआ था। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और विश्वराज सिंह के समर्थक आमने-सामने आ गए थे।

दोनों के बीच का पूरा विवाद जानें

विश्वराज सिंह और लक्ष्यराज सिंह के बीच क्या विवाद है, इसे जानने के लिए हमें सबसे पहले मेवाड़ के शाही परिवार को समझना पड़ेगा। बता दें कि आजादी के साथ ही उदयपुर राज्य का विलय भारत में हो गया था। लेकिन राज परिवार की परंपराएं अभी तक चलती आ रही हैं।आजादी के वक्त उदयपुर में महाराणा भूपाल सिंह का शासन था। उनके निधन के बाद साल 1955 में उनके बेटे महाराणा भगवत सिंह गद्दी पर बैठे।

भगवत सिंह उदयपुर के अंतिम महाराणा थे। उनके बेटे का नाम महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविन्द सिंह मेवाड़ है। महेंद्र बड़े बेटे, वहीं अरविन्द मेवाड़ छोटे बेटे। भगवत सिंह मेवाड़ ने साल 1963 से 1983 के बीच उदयपुर राजघराने की कई बड़ी संपत्तियों को बेच दिया। वहीं कुछ सम्पत्तियों को लीज पर भी दे दिया।

पिता के इस फैसले से बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ गुस्सा हो गए। उन्होंने साल 1983 में अपने पिता पर ही एक मुकदमा दायर कर दिया। महेंद्र सिंह ने दावा कि उनके पिता ने उनके साथ बहुत गलत किया है। महेंद्र ने कोर्ट से राज परिवार की ज्यादातर सम्पत्ति अपने नाम किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि नियम के मुताबिक राजघराने के बड़े बेटे को सम्पत्ति मिलती है, इसलिए उन्हें उनका हिस्सा दे दिया जाए।

भगवत सिंह बेटे महेंद्र सिंह के मुकदमे से काफी ज्यादा गुस्सा हो गए। उन्होंने महेंद्र सिंह को अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया। इसके साथ ही भगवत सिंह ने उदयपुर राजघराने की सारी सम्पत्तियों को एक ट्रस्ट के पास ट्रांसफर कर दी। ट्रस्ट का मुखिया उन्होंने छोटे बेटे अरविन्द सिह मेवाड़ को बनाया।

पिता की संपत्ति से बेदखल होने के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस छोड़ दिया। उन्होंने समोर बाग़ में स्थित आवास को अपना पता बना लिया। उदयपुर के महल यानी सिटी पैलेस में अब अरविन्द सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ रहते हैं।

महेंद्र मेवाड़ और अरविंद मेवाड़ के परिवार के बीच मुख्य विवाद तीन बड़ी संपत्तियों को लेकर है। इसमें मुख्य सम्पत्ति सिटी पैलेस है, जिसे शंभू निवास भी कहा जाता है। इसके साथ ही बड़ी पाल और घास घर नाम की दो संपत्तियों पर भी दोनों के बीच लड़ाई चल रही है। यह मामला जब उदयपुर की कोर्ट में पहुंचा तो अदालत ने फैसला दिया कि संपत्ति को महेंद्र-अरविंद और उनकी दोनों बहनों यानी चार लोगों में बांट दिया जाए। वहीं, शंभू निवास 4-4 साल तक सभी के कब्जे में रहे।

हालांकि, हाई कोर्ट ने साल 2022 में निचली अदालत के इस फैसले पर रोक लगा दी। अब महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ दोनों इस दुनिया में नहीं है। महेंद्र के बेटे विश्वराज सिंह अब उनके वारिस हैं। वहीं अरविंद सिंह के बेटे लक्ष्यराज वारिस हैं। अब संपत्ति की लड़ाई विश्वराज और लक्ष्यराज के बीच में है। बता दें कि विश्वराज सिंह सियासी तौर पर काफी ताकतवर हैं। वो खुद विधायक हैं और उनकी पत्नी महिमा लोकसभा सांसद हैं। सियासी रूप से मजबूत होने की वजह से विश्वराज, लक्ष्यराज पर अब भारी पड़ सकते हैं।

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