नई दिल्ली। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट- 1991 यानी पूजास्थल कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि जब तक हम इस केस पर सुनवाई कर रहे हैं, तब तक पूरे देश में धार्मिक स्थलों को लेकर कोई भी नया केस दर्ज नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र हलफनामा दाखिल कर जल्द अपना पक्ष रखे।
पूजास्थल कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ वकील ने बेंच से कहा कि जिन जगहों को लेकर पहले से केस फाइल है, वहां पर सर्वे को रोक दिया जाए। इस पर सीजेआई खन्ना ने कहा कि काशी और मथुरा के बारे में मुझे जानकारी है। वैसे कुल कितने मामले हैं? इस पर वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया कि ऐसी कुल 10 जगहें हैं।
बता दें कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश पीवी संजय कुमार और न्यायाधीश केवी विश्वनाथन की विशेष पीठ कर ही है। हिंदू पक्ष की तरफ से बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी, एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय और कथावाचक देवकीनंदन ने कोर्ट में याचिका लगाई है। उन्होंने तर्क दिया है कि पूजास्थल कानून हिंदू, जैन, बौद्ध और सिखों के खिलाफ है। इस कानून की वजह से हम अपने पूजा स्थलों और तीर्थ स्थलों को वापस नहीं ले सकते हैं।
वहीं, इस याचिका के विरोध में 6 राजनीतिक पार्टियों ने याचिका लगाई है, जिसमें सीपीआई-एम, एनसीपी-शरद पवार, इंडियन मुस्लिम लीग और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शामिल है। इनका तर्क है कि एक्ट के खिलाफ याचिकाओं पर अगर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया तो इससे पूरे देश में मस्जिदों के खिलाफ हजारों मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी।
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