चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली अप्रत्याशित जीत ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है. जहां चुनावी परिणाम के एक दिन पहले सभी एग्जिट पोल्स और चुनावी विश्लेषक दावा कर रहे थे कि राज्य में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने वाला है. वहीं नतीजा इन दावों के बिल्कुल उलट आया. […]
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली अप्रत्याशित जीत ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है. जहां चुनावी परिणाम के एक दिन पहले सभी एग्जिट पोल्स और चुनावी विश्लेषक दावा कर रहे थे कि राज्य में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने वाला है. वहीं नतीजा इन दावों के बिल्कुल उलट आया.
बीजेपी ना सिर्फ राज्य की सत्ता में तीसरी बार लौटी बल्कि उसने 57 साल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. बता दें कि इससे पहले 1966 से लेकर 1972 तक कांग्रेस ने लगातार चार बार राज्य में सरकार बनाई थी.
इसी हरियाणा में कुछ महीने पहले यानी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिखाई पड़ रहा था. उस वक्त कांग्रेस ने राज्य 10 लोकसभा सीटों में से 5 पर जीत दर्ज की थी. लोकसभा चुनाव के बाद माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एकतरफा जीत दर्ज करेगी, हालांकि अब नतीजे कुछ और ही आए हैं.
बताया जा रहा है कि भाजपा अब हरियाणा वाली रणनीति से महाराष्ट्र का चुनाव भी जीतेगी. मालूम हो कि हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी आम चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था. लोकसभा चुनाव में बीजेपी महाराष्ट्र की 48 में से सिर्फ 9 सीटें ही जीत पाई थी. अब भाजपा कोशिश करेगी कि हरियाणा वाले प्लान से वह महाराष्ट्र का भी चुनाव जीते.
बीजेपी ने हरियाणा जीतने के लिए खास रणनीति पर काम किया. उसने राज्य की उन सीटों को चिन्हित किया, जहां पर उसके खिलाफ ज्यादा विरोध है. इसके बाद निर्दलीयों को साधकर उन्होंने बीजेपी को विरोध में पड़ने वाले वोटों को बांट दिया. इसके साथ ही चुनाव को कैसे जाट वर्सेज नॉन जाट किया जाए, इस पर भी बीजेपी के रणनीतिकारों ने बहुत मेहनत की.
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