नई दिल्ली। यदि सामान्य नज़रिए से देखा जाए तो भारतीय राजनीति में यही दिखाई देता है कि, भाजपा ने कांग्रेस का पतन कर दिया है। समस्त देश की सत्ता में बेबाकी से राज करने वाली कांग्रेस का सफाया मात्र दस वर्षों के भीतर करके भाजपा ने एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इस बाद में […]
नई दिल्ली। यदि सामान्य नज़रिए से देखा जाए तो भारतीय राजनीति में यही दिखाई देता है कि, भाजपा ने कांग्रेस का पतन कर दिया है। समस्त देश की सत्ता में बेबाकी से राज करने वाली कांग्रेस का सफाया मात्र दस वर्षों के भीतर करके भाजपा ने एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इस बाद में कोई दो मत नहीं हैं लेकिन इससे हटकर यदि सोचा जाए तो एक बात निकल कर सामने आती है वह है कि, भाजपा ने कांग्रेस का पतन नहीं किया बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में उसका विघटन कर दिया है। नए राजनीतिक दलों को जन्म दे दिया है। आखिर क्या है इस बात की सच्चाई आइए जानते हैं।
एक लंब अरसे से भारतीय राजनीति का केंद्र बनी कांग्रेस के अंत की शुरुआत 2014 से ही होनी शुरु हो गई थी 2014 के आम चुनावों में हार के बाद उन सभी राज्यों में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा जहां वह सशक्त थी और 2019 के आम चुनावों ने यह साबित कर दिया कि, कांग्रेस को दोबारा उठने के लिए अब प्रयास करने की आवश्यकता नहीं बल्कि भाजपा एवं नरेंद्र मोदी की ख्याति कम अथवा खत्म होने की प्रतिक्षा करनी होगी।
2019 के आम चुनावों के बाद भाजपा ने कई अन्य राजनीतिक पार्टियों को जन्म दे दिया, इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि, जो राजनीतिक दल केवल एक क्षेत्र तक ही सीमित थे अब वह केन्द्रीय राजनीति में हाथ आजमाने की कोशिशे कर रहे हैं इतना ही नही अपने क्षेत्र से निकलकर अन्य राज्यों के चुनावों को प्रभावित करने की सफल कोशिशें भी कर रहे हैं, उदाहरण के तौर पर हैदराबाद की राजनीति में हाथ आज़माने वाले एआईएमआईएम प्रमुख असद उद्दीन ओवैसी बिहार, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में सम्पूर्ण सामर्थ्य के साथ उतरते हैं और कुछ जगह सफलता भी प्राप्त करने का साहस रखते हैं, साथ ही ममता बनर्जी की बात करें तो वह भी तीसरे मोर्चे के अहम चेहरों के रूप में अपने आप को प्रदर्शित करते हुए ज़रा भी गुरेज़ नहीं कर रहीं हैं मौजूदा समय में बिहार के उपचुनावों में जिस तरह ओवैसी ने कांग्रेस का एवं गठन्धन को चोट पहुंचाने का कार्य किया है, इससे स्पष्ट हो जाता है कि, आने वाले समय में उनकी पार्टी का वर्चस्व बढ़ेगा ही न की घटेगा।
2014 के बाद केजरीवाल जिस तरह दूसरे विकल्प के रूप में सामने आए वह अतुलनीय हैं अल्प काल में ही दो राज्यों की सत्ता मे काबिज़ होने वाले केजरीवाल दूसरे विकल्प के रूप मे सामने आए वहीं जिस तरह आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ सीधी टक्कर ले रहे हैं उससे लगता है कि, गुजरात में केजरीवाल बनाम मोदी ही चल रहा है।
इन बातों एवं तथ्यों से यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि, भाजपा ने टीएमसी, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों को जन्म एवं पुनर्जीवित करने का काम किया है.