मजेंटा लाइन के उद्घाटन पर पहुंच कर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने नोएडा से जुड़ा यह मिथक तोड़ा था कि जो भी यूपी सीएम नोएडा आता है वह अपनी सत्ता गंवा देता है. उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी के नोएडा दौरे को लेकर उन पर तंज भी कसा था. आपको बता दें कि ना केवल नोएडा बल्कि और भी जगह हैं जहां से ऐसा ही मिथक जुड़ा है. जिसमें मध्य प्रदेश का अशोक नगर जिला हेडक्वार्टर, इछावर, उज्जैन और तमिलनाडु का वृद्धेश्वर मंदिर शामिल है.
नई दिल्लीः हाल में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने नोएडा आकर नोएडा से जुड़ा एक मिथक तोड़ा था. इस मिथक के अनुसार यूपी का जो भी सीएम नोएडा आया उसकी कुर्सी छिन गई. योगी के नोएडा आने पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी के नोएडा दौरे पर कहा था कि ‘नोएडा जाने पर जो अंधविश्वास है वह दिख रहा है. मैंने तस्वीरों में देखा कि उन्होंने (योगी) मेट्रो सेवा शुरू होने पर झंडी नहीं दिखाई और न ही मेट्रो की शुरूआत वाला बटन दबाया’ उन्होंने कहा, ‘मैं अंधविश्वास में यकीन करता हूं. अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने वहां का दौरा किया. अब इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.’ नोएडा से जुड़ा यह मिथक सालों पुराना है लेकिन नोएडा के अलावा भी ऐसी और भी जगह हैं जहां सीएम जाने से डरते हैं कि कहीं उनकी सत्ता न छिन जाए.
अशोक नगर, मध्य प्रदेश
मजेंटा लाइन के उद्घाटन के लिए नोएडा पहुंचने के बाद मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मिथक तोड़ने के लिए मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिला हेडक्वार्टर जाने की बात कही है. बता दें कि अशोक नगर जिला हेडक्वार्टर से मिथ जुड़ा है कि जो भी सीएम वहां जाता है वह जल्द ही अपनी कुर्सी गंवा देता है. यह मिथक 1970 से शुरू हुआ जब 1970 में प्रकाश चंद सेठी, 1975 में श्यामा चरण शुक्ला, 1984 में अर्जुन सिंह, 1993 में सुंदर साल पटवा व 2003 में दिग्विजय सिंह ने यहां आने के बाद अपनी सीएम की कुर्सी गंवा दी थी.
इछावर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के इछावर से भी कुछ ऐसा ही मिथक जुड़ा हुआ है. 1962 में कैलाश नाथ काटजू , 1967 में द्वारका प्रसाद मिश्रा, 1977 में कैलाश जोशी, 1979 में विरेंद्र कुमार और 2003 दिग्विजय सिंह ने भी यहां का दौरा करने के बाद अपनी सीएम की सीट खो दी थी. बता दें कि इछावर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृहनगर सेहोर में स्थित है लेकिन उसके बाद भी 12 सालों के अपने सीएम होते हुए वहां नहीं गए. मजे की बात तो यह है कि नवंबर 2003 में दिग्विजय सिंह ने यह कहते हुए इछानगर का दौरा किया के वह इस मिथक को तोड़ेंगे लेकिन दौरे के बाद उन्हें सीएम की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था.
उज्जैन, मध्य प्रदेश
द्वादश ज्योर्तिलिंग में से एक भगवान महाकाल मंदिर के लिए प्रसिद्ध उज्जैन भी इस मिथक के अछूता नहीं है. उज्जैन में कोई भी सीएम या राजसी परिवार का सदस्य वहां रात नहीं बिताता है क्योंकि भगवान महाकाल को ही वहां का राजा माना जाता है वहीं रात में वहां रुक सकते हैं. बता दें कि शिवराज सिंह चौहान महाकाल मंदिर तो गए लेकिन वह उज्जैन में न रुकते हुए भोपाल लौट आए थे.
साथ ही नेता कदमगिरी के ऊपर से जाने से भी बचते हैं मिथक है कि वहां भगवान राम वनवास के दौरान कुछ दिन यहां रुके थे. अब जो भी हेलीकॉप्टर इस पहाड़ी के ऊपर से निकलता है कि तो दुर्घटना होती है.
वृद्धेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के वृद्धेश्वर मंदिर से भी यही मिथक जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि जो भी नेता या कोई वीआईपी मंदिर के मुख्य द्वार यानी केरलाथन गेट से मंदिर में प्रवेश करता है वह या तो सत्ता खो देता है या फिर उसकी तबियत खराब हो जाती है या कोई दुर्घटना हो जाती है. इस मंदिर से मिथक 1984 से जुड़ा जब यहां दौरे के बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो कर दी गई और सीएम रामचंद्रन को गंभीर बीमारी मे घेर लिया. तब से मंदिर के मुख्य द्वार से कोई भी वीआईपी प्रवेश नहीं करता है. 1997 में मंदिर में आग लगने के बाद 45 लोगों के मरने के बाद तत्कालीन सीएम एम करुणानिधि भी दूसरे गेट से मंदिर में गए थे.
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