No New Engineering college Open 2020: एकैडमिक सत्र 2020 से देश में नहीं खुलेगा एक भी नया इंजीनियरिंग कॉलेज

No New Engineering college Open 2020: आईआईटी हैदराबाद के नेतृत्व में गठित की गई कमेटी ने इंजीनियरिंग कॉलेजों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए कई तरह के सुझाव दिये हैं. इसके अलावा वर्किंग कमेटी ने 2020 से एक भी न्यू इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोलने का आदेश दिया है.

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No New Engineering college Open 2020: एकैडमिक सत्र 2020 से देश में नहीं खुलेगा एक भी नया इंजीनियरिंग कॉलेज

Aanchal Pandey

  • October 10, 2019 1:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वालें स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर है. अगले वर्ष यानी कि 2020 एकैडमिक सत्र से देश के किसी भी राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खुलेंगे. सरकार ने ऐसा फैसला इसलिए लिया है ताकि इंजीनियरिंग कॉलेजों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को बढ़ाया जाएगा. एक नए इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोलने की मंजूरी वर्किंग कमेटी ने भारत सरकार को दे दिया है और जल्द ही ये एडवाइजरी सरकार सभी राज्यों भेजेगी. 2020 सत्र में अगर कोई भी इंजीनियरिंग कॉलेज किसी भी राज्य में खुलता है तो सरकार उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.

पिछले कई वर्षों कि बात करें तो भारत और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इंजीनियरों की मांग लगातार घटती जा रही है. इंजीनियरों की मांग घटने के कारण कई राज्यों में विभिन्न ट्रेड्स की सीटें खाली रह जा जाती हैं. जिसके कारण राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

भारत सरकार की तरफ से गठित वर्किंग कमेटी की एक रिपोर्ट्स की मानें तो देश में इंजीनियरिंग करने वाले 100 स्टूडेंट्स में सिर्फ 52 प्रतिशत स्टूडेंट्स को नौकरी मिल पाती है. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा में कमी है. इंजीनियरिंग कॉलेजों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सके इसके लिए सरकार वर्तमान फोकस कर रही है.

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गौरतलब है कि भारत सरकार ने इंजीनियरिंग एजुकेशन में सुधार के लिए 2018 में आईआईटी हैदराबाद की नेतृत्व में एक वर्किंग कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में आईआईटी हैदराबाद के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन प्रो. बीवीआर मोहन रेड्डी के अलावा आईआईटी, फिक्की, नैसकॉम, एसोचैम, सेंटर फॉर मैनेजमेंट एजुकेशन के एक्सपर्ट शामिल थें. 

वर्किंग कमेटी ने सरकर को कई तरह की सुझाव दिए हैं जिसे जल्द ही अमल में लाया जाएगा. आपको बता दें कि भारत में इंजीनियरिंग सेक्टर की सबसे खराब हालात इसलिए है, क्योंकि यहां पर बी-टेक एजुकेशन के नाम पर 2006 के बाद काफी संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गए और मानकों को ताक पर रखकर छात्रों को एडमिशन दिया गया है. लेकिन जब वे पढ़ाई करके निकले तो उनमें से अधिक को नौकरी नहीं मिल रही है. 

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