समाजसेवी अन्ना हजारे अपनी तमाम मांगों को लेकर केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. इस महाआंदोलन की शुरुआत करने से पहले शुक्रवार सुबह वह राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर गए और वहां पर उन्होंने बापू को नमन किया. इसके बाद सीधे रामलीला मैदान पहुंचे अन्ना हजारे ने हजारों लोगों की मौजदूगी में मंच पर सबसे पहले तिरंगा लहराया.
नई दिल्ली. समाजसेवी अन्ना हजारे लोकपाल की मांग को लेकर एक बार फिर से शुक्रवार से अनशन पर बैठ गए हैं. शुक्रवार से अन्ना हजारे रामलीला मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. अन्ना हजारे की प्रमुख मांगों में लोकपाल विधेयक को पारित कराना भी शामिल है. इसके अलावा उनकी 6 अन्य मांगें भी हैं. इसस अनशन के बारे में अन्ना का कहना है कि भूख हड़ताल से पहले मैंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा. मगर सरकार ने नहीं सुनी. अंत में मुझे अनशन पर बैठना पड़ा. इस दौरान अन्ना के मंच से मोदी सरकार के खिलाफ ‘नो लोकपाल नो मोदी’ नारे भी लगाए गए.
शुक्रवार सुबह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त एन संतोष हेगड़े अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल होने के लिए रामलीला मैदान पहुंचे. अन्ना ने महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि के बाद भूख हड़ताल की शुरुआत की. भूख हड़ताल की शुरुआत में अन्ना हजारे ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने पंथ प्रधान को 43 बार ख़त लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. कोई जवाब नहीं आया. उन्होंने कहा कि आज का दिन इसलिए चुना क्योंकि लाखों लोगों ने देश के लिए अपनी जान दी. लोकतंत्र नहीं आया अंग्रेज़ तो चले गये. सिर्फ़ गोरे गये काले आ गये. उन्होंने कहा कि जब तक किसानों को हक़ नहीं मिलता जब तक लड़ना है.
इस दौरान अन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्री तीन चार दिन से पीछे पड़े हैं. मंत्री आते हैं कि अनशन मत करो. रात को भी मंत्री आए 1.30 घंटा बैठे. अन्ना हजारे ने उनके आंदोलन से पहले दिल्ली पहुंचने वाली ट्रेनें रद्द करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सरकार किसानों को हिंसा की ओर ले जाना चाह रही है? जो ट्रेनें सत्याग्रहियों को लेकर आ रही थीं, उन्हें कैंसल कर दिया. मेरे लिए भी पुलिस फोर्स तैनात कर दी. उन्होंने कहा कि आपकी सुरक्षा मुझे नहीं बचाएगी. सरकार का यह रवैया मूर्खतापूर्ण है. अन्ना ने कहा कि पता नहीं इस बार क्यों सरकार ने दिल्ली आने वाले लोगों को ट्रेन और बसें रद्द कर रोक दिया. यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है. सरकार किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है.
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