नई दिल्ली: आज यानि (5 अक्टूबर) को नवरात्रि के तीसरे दिन (मां चंद्रघंटा) की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं. PM मोदी भी नवरात्रि में नौ दिनों तक सिर्फ पानी पीकर व्रत करते हैं. जब PM मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो शपथ ग्रहण की तारीख (7 […]
नई दिल्ली: आज यानि (5 अक्टूबर) को नवरात्रि के तीसरे दिन (मां चंद्रघंटा) की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं. PM मोदी भी नवरात्रि में नौ दिनों तक सिर्फ पानी पीकर व्रत करते हैं. जब PM मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो शपथ ग्रहण की तारीख (7 अक्टूबर 2001) थी. इसके ठीक 10 दिन बाद 17 अक्टूबर को नवरात्र शुरू हुई. इस नवरात्रि के दौरान मोदी पहली बार कच्छ गए थे गुजरात के मुख्यमंत्री.
मीडिया के मुताबिक इस कहानी में बताया गया कि साल 2001(जनवरी) में कच्छ में भयानक भूकंप आया था, जिसमें दस हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. मोदी कच्छ में राहत और पुनर्वास कार्य तेज करने में व्यस्त थे. इसी सिलसिले में मोदी नवरात्रि के दौरान कच्छ के दौरे पर भी थे. वहां उनकी मुलाकात कच्छ में रहने वाले एक आरएसएस प्रचारक से हुई. उपदेशक ने उन्हें एक पुड़िया में प्रसाद दिया, जो उस मंदिर से आया था जिसमें मोदी को आमंत्रित किया गया था, लेकिन भूकंप राहत कार्य में व्यस्त होने के कारण वह इसमें शामिल नहीं हो सके.
अगली दिन प्रीचर फिर उनसे मुलाकात करने आये . मोदी ने बगल में रखी प्रसाद की पोटली लौटा दी. उनके पुराने सहयोगी को आश्चर्य हुआ. पूछा, प्रसाद क्यों लौटा रहे हो? मोदी ने जो जवाब दिया उससे संघ प्रचारक हैरान रह गए. मोदी ने अपने पुराने सहयोगी को बताया कि वह देवी जगदंबा की पूजा के लिए नवरात्रि के अवसर पर जो व्रत रखते हैं, उस दौरान वह केवल पानी पीते हैं और कुछ नहीं. नवरात्रि के समय में, वे मंदिर से प्रसाद भी स्वीकार नहीं कर सकते हैं. उनके सहकर्मी के आश्चर्य की सीमा न रही.
यह पता चला कि मोदी ने अपने शुरआती दिनों से ही नवरात्रि के अवसर पर उपवास की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जिसके दौरान वह आम तौर पर पानी पर रहते थे, कभी-कभी पानी में नींबू मिलाते थे, कभी-कभी कुछ भी नहीं खाते थे. जवानी के दिनों में बनी यह आदत 74 साल की उम्र में भी कायम है. मोदी के नवरात्री व्रत का कभी कोई फल नहीं मिलता. बस पानी, कभी-कभी उसमें थोड़ा-सा नींबू निचोड़ लेना, बस इतना ही. वर्ष में दो बार चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्रि के अवसर पर व्रत भी रखते हैं, और दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं, वही काम करें. देश-विदेश में रैलियां और दौरे भी वैसे ही बने हुए हैं.
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