पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के पुराने समाजवादी नेता शरद यादव का गुरूवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 75 साल की उम्र में गुरूग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पिता के निधन की जानकारी दी। बता दें कि शरद यादव ने […]
पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के पुराने समाजवादी नेता शरद यादव का गुरूवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने 75 साल की उम्र में गुरूग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पिता के निधन की जानकारी दी। बता दें कि शरद यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी दुश्मनी ने राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियां बटोरी। पिछले साल मई में उन्होंने दिल्ली के तुगलक रोड स्थित 7 नंबर बंगले को खाली कर दिया था। समाजवादी नेता ने इस बंगले में 22 साल तक जीवन बिताया था।
शरद यादव ने 31 मई 2022 को बतौर केंद्रीय मंत्री और सांसद के रूप में 22 साल जीवन बिताने के बाद 7 तुगलक रोड वाले बंगले को खाली कर दिया। आवास को खाली करने के बाद उन्होंने कहा था कि समय आता है और चला जाता है। मैं 50 साल से लुटियंस जोन में हूं। मैं 22 साल तुगलक रोड पर रहा। समय बदलता रहता है। मीडिया ने जब उनसे पूछा कि वादा करने के बावजूद राजद ने उन्हें राज्यसभा क्यों नहीं भेजा, इसपर उन्होंने कहा कि बेहतर यही होगा कि अब कहानी को पीछे छोड़ दिया जाए, क्योंकि हर जगह राज्यसभा के टिकट तय हो चुके हैं।
बता दें कि शरद यादव ने बंगला खाली करते हुए कहा था कि मैंने नैतिकता के आधार पर तीन बार संसद से इस्तीफा दिया है। कितने और नेताओं ने अपने जीवन में ऐसा किया होगा। उन्होंने कहा था कि मैंने अपने जीवन में एक नहीं कई चुनाव देखे हैं। मैं इस लुटियंस दिल्ली में पिछले 50 साल से हूं। लुटियंस में आज दिल्ली में आज मेरा आखिरी दिन है। अगर समय बदला तो फिर यहां लौटूंगा। गौरतलब है कि शरद यादव इस बंगले में साल 2000 से रह रहे थे। उन्हें यह बंगला केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद मिला था।
साल 2015 में जब बिहार में आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू ने मिलकर सरकार बनाई तो इस महा गठबंधन का सूत्रधार शरद यादव को माना गया। हालांकि 2 साल बाद ही नीतीश कुमार ने इस महागठबंधन से खुद को अलग करते हुए फिर से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। उनके इस फैसले से शरद यादव खुश नहीं थे। उन्होंने बाद में जेडीयू से नाता तोड़ते हुए एक अलग पार्टी बना ली। जिसका पिछले साल राष्ट्रीय जनता दल में विलय हो गया।
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