नई दिल्ली। नए संसद भवन को लेकर सियासी हंगामा जारी है. 28 मई को पीएम मोदी देश को लोकतंत्र के मंदिर की नई इमारत सौंपेंगे, वहीं विपक्षी दलों ने इस नए भवन की जरूरत को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है नए संसद भवन की क्या […]
नई दिल्ली। नए संसद भवन को लेकर सियासी हंगामा जारी है. 28 मई को पीएम मोदी देश को लोकतंत्र के मंदिर की नई इमारत सौंपेंगे, वहीं विपक्षी दलों ने इस नए भवन की जरूरत को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है नए संसद भवन की क्या जरूरत थी? पहले की इमारत की ऐतिहासिक थी और अभी अच्छी हालात में थी. उन्होंने कहा कि मैंने बार-बार कहा है कि मौजूदा वक्त में जो लोग सत्ता में बैठे हैं, वे इस देश के इतिहास को बदलना चाहते हैं. नीतीश ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है.
बता दें कि 21 विपक्षी दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है. उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नई संसद की इमारत का उद्घाटन करें. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब) के सांसद संजय राउत इस मामले को लेकर ज्यादा मुखर हैं. उन्होंने कहा है कि पीएम विदेश में जाकर लोकतंत्र की बात करते हैं, जबकि सच्चाई तो ये है कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो गई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी सबसे पहले राष्ट्रपति नए सांसद भवन के उद्घाटन का न्योता दीजिए, उसके बाद लोकतंत्र की बात कीजिए.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी बुधवार को विपक्षी दलों से इस बहिष्कार पर फिर से विचार करने की अपील की थी. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मैं विपक्षी नेताओं को बताना चाहता हूं कि यह एक ऐतिहासिक घटना है. इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. यह राजनीति का समय नहीं है. उन्होंने कहा कि नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना और उसे मुद्दा बनाना सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं विपक्षी पार्टियों से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करता हूं.
New Parliament: जानिए नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर क्या कहता है भारत का संविधान