पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से सभी परेशान हैं. ऐसे में नीति आयोग ऐसी नीति पर काम कर रहा है जिसे मोदी सरकार मान लेती है तो पेट्रोल पर आने वाला खर्च 10 फीसदी तक कम हो सकता है. दरअसल नीति आयोग पेट्रोल में मेथेनॉल मिलाने की नीति पर काम कर रही है. अभी तक ऐथेनॉल मिलाया जाता है जो कि मेथेनॉल से प्रतिलीटर दो गुना कीमत का होता है. नीति आयोग एक ड्राफ्ट तैयार कर रहा है जिसे कैबिनेट में रखा जाएगा.
नई दिल्ली. डीजल पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर हर कोई परेशान है. सरकार पर भी पेट्रोलियम कीमतें कम करने का दवाब है. ऐसे में नीति आयोग एक स्ट्रेटैजी पर काम कर रहा है जिससे कार पर पेट्रोल खर्च 10 फीसदी कम हो जाएगा. दरअसल यह संभव होगा पेट्रोल में मेथेनॉल मिलाए जाने के कारण. नीति आयोग द्वारा बनाई जा रही नीति के तहत पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के ईंधन में 15 प्रतिशत मेथेनॉल मिलाया जाएगा.
इसे अनिवार्य किए जाने के लिए नीति आयोग एक कैबिनेट नोट लाएगा. यदि इसकी मंजूरी मिल गई तो पेट्रोल का खर्च 10 प्रतिशत कम हो जाएगा. कच्चे तेल पर इसका सीधा असर पड़ेगा. मेथनॉल का आयात करने से भी सरकार को काफी बचत होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई के अंतिम सप्ताह में इस पर चर्चा के लिए एक लेवल मीटिंग हुई थी. नीति आयोग ने मेथेनॉल इकॉनोमी का एक रोडमैप बनाया हो जिसमें साल 2030 तक कच्चे तेल के आयात के कुल खर्च में 100 अरब डॉलर की कटौती की बात कही गई है.
अभी तक देश में सिर्फ 10 प्रतिशत तक एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल बेचने की परमीशन है. ऐथेनॉल की कीमत 42 रुपये लीटर है जबकि, मेथेनॉल की कीमत 20 रूपये लीटर से भी कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में पेट्रोल में ऐथेनॉल के बजाय मेथेनॉल मिलाया जाए तो दाम में 10 प्रतिशत की कमी आ जाएगी. इस मामले पर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री खुलकर बोलने को तैयार नहीं है लेकिन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर ने कहा कि आज जो भी गाड़ियां बन रही हैं वे 18-20 प्रतिशत तक ब्लेंडेड फ्यूल के इस्तेमाल के लायक हैं. इनका निर्माण एथेनॉल मिक्स पेट्रोल के लिए है. अगर मेथेनॉल को मंजूरी मिलती है तो उसके हिसाब से इंजन में बदलाव करना होगा.
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