नई दिल्ली: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शंकराचार्यों के शामिल होने को लेकर चल रही शंका पर पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (Nischalananda Saraswati) ने बयान दिया है. शनिवार (13 जनवरी) को उन्होंने कहा है कि राम मंदिर को लेकर चारों शंकराचार्यों में कोई मतभेद नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार होनी चाहिए.
पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (Nischalananda Saraswati) ने कहा कि श्रीराम यथास्थान प्रतिष्ठित हों, यह जरूरी है. लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार हो. उन्होंने कहा कि पूजा पद्धति और शास्त्रों का पालन नहीं होने पर चारों दिशाओं के साथ-साथ, भूत-प्रेत, पिशाच जैसी शक्तियों का नकारात्मक प्रभाव होने की आशंका रहती है. उनका कहना है कि इसलिए शास्त्र विधि से ही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए. शंकराचार्यों के बीच मतभेद पर निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसी सूचनाएं बेबुनियाद हैं और इनका कोई प्रमाण नहीं है.
वहीं, विश्व हिंदू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने गुरुवार (11 जनवरी) को कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का स्वागत करने वाले द्वारका और श्रृंगेरी शंकराचार्यों के बयान पहले से ही सार्वजनिक हैं. आलोक कुमार ने कहा कि पुरी शंकराचार्य भी इस समारोह का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि केवल ज्योतिर्पीठ शंकराचार्य (Shankaracharya) ने समारोह के खिलाफ टिप्पणी की है, लेकिन बाकी तीन शंकराचार्यों ने साफ कर दिया है कि उनकी तरफ से दिए गए बयान भ्रामक थे क्योंकि वे समारोह के पूर्ण समर्थन में हैं.
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