बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर संकट, पालघर के किसान बोले- पहले कराओ विकास, फिर मिलेगी जमीन

केंद्र सरकार के मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर महाराष्ट्र के पालघर में जमीन अधिग्रहण पर संकट के बादल छाए हुए हैं. अब महाराष्ट्र के पालघर जिले के किसानों ने रेल कॉरिडोर के लिए जमीन देने के लिए हामी भरने से पहले किसानों ने एंबुलेंस सेवाएं, सोलर स्ट्रीट लाइट, तालाब की मरम्मत और चिकित्सीय सुविधाओं की मांग की है.

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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर संकट, पालघर के किसान बोले-  पहले कराओ विकास, फिर मिलेगी जमीन

Aanchal Pandey

  • June 17, 2018 6:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

पालघर. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर महाराष्ट्र के पालघर में जमीन अधिग्रहण को लेकर समस्या बनी हुई है. वहां के ग्रामवासियों ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए हामी भरने से पहले एंबुलेंस सेवाएं, सोलर स्ट्रीट लाइट, तालाब की मरम्मत और चिकित्सीय सुविधाओं की मांग की है. राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआरसीएल) के अधिकारियों ने इस मामले में जानकारी दी है.

दरअसल इसी परियोजना को साल 2022 तक पूरा करने के लिए एनएचआरसीएल ने अपनी रणनीति में बदलाव किरते हुए अधिकतर शर्तों को मानने पर राजी हो गया है. इससे पहले 23 गांवों में जनसपर्क कार्यक्रमों में लोगों को समझाने में असफल हो जाने के बाद एनएचआरसीएल अपना रुख बदला है. अब एनएचआरसीएल हर एक जमीन के मालिक के पास जाकर उनकी मांग सुनकर सही मुआवजा देने की बात कर रहा है.

एनएचआरसीएल प्रवक्ता धनंजय कुमार के मुताबिक, उन्होंने अपने रुख में बदलाव किया है. पहले उन्होंने गांववालों को गांवों की चौक पर इकट्ठा कर समझाने का प्रयास किया. लेकिन वह सब काम नहीं आया. इसलिए उन्होंने तय किया कि वे जमींदारों और गांव के मुखिया से लिखित में जमीन के एवज में उनकी मांगों को लिखित में देने के लिए कहेंगे.

गौरतलब है कि इस 508 किलोमीटर की लंबी परियोजना का एक हिस्सा यानि करीब 110 किलोमीटर महाराष्ट्र के पालघर से होकर गुजरता है. ऐसे में सरकार को 73 गावों की 300 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. जिससे इस रूट पर आने वाले लगभग 3 हजार लोगों को प्रभावित करेगा. ऐसे में पालघर जिले के आदिवासी और फल उत्पादक इसका विरोध कर रहे हैं.

हालांकि एनएचआरसीएल ने ग्रामीणों की मांगों का समर्थन करते हुए उन्हें अपने पक्ष में कर रहा है. ऐसे में ग्रामीणों की अधिकतर मांगे उनकी रोजमर्रा जीवन की जरूरतें जैसे एंबुलेंस और स्ट्रीट लाइट हैं. वहीं गुजरात में भी इस मामले को लेकर लोग विरोध कर रहे हैं. बता दें कि परियोजना के अनुसार हाई स्पीड रेल कॉरिडोर गुजरात और महाराष्ट्र के अलावा केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नागर हवेली से भी गुजरेगा.

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