UP Nameplate: UP में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर 29 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

UP में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर 29 जुलाई को होगी अगली सुनवाई Next hearing on Kanwar Yatra nameplate dispute in UP will be held on July 29.

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UP Nameplate: UP में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर 29 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

Aprajita Anand

  • July 26, 2024 2:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: UP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कांवड़ियां मार्ग पर भोजनालयों के मालिकों के नेमप्लेट लगाने का निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया था कि गलती से भी कांवरियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों. इस संबंध में जारी सुप्रीम आदेश को बरकरार रखा गया है. कावड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों में नेमप्लेट लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश बरकरार रखा है.

अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी

कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली खाने-पीने की दुकानों के मालिकों को अपना व कर्मचारियों का नाम स्पष्ट रूप से लिखने का आदेश दिया गया था. लेकिन बाद में SC ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने UP-उत्तराखंड और MP सरकार से भी जवाब मांगा. SC में एक नई याचिका दायर की गई है. यह याचिका दुकानों के बाहर दुकानदारों का नेमप्लेट लगाने के समर्थन में है. इस याचिका पर शुक्रवार यानि आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से सोमवार तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार 29 जुलाई को होगी.

UP सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा-

कोर्ट ने कांवड़ यात्रा शुरू होने के साथ ही मार्ग पर नेम प्लेट लगाने संबंधी आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया है. दरअसल, दुकानदारों की ओर से दायर याचिका में इस आदेश से आर्थिक चोट पहुंचाने की बात कही गई थी. यूपी सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा-कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने की चीजों को लेकर असमंजस की स्थिति है. खासकर प्याज और लहसुन के इस्तेमाल को लेकर झगड़े होते थे. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर बने होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट को शाकाहारी या मांसाहारी का बोर्ड लगाने का आदेश दिया. दुकान मालिकों या कर्मचारियों का नाम लिखना अनिवार्य करने पर रोक लगा दी गई. अब योगी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश जवाब में कहा गया है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने और आस्था को ठेस न पहुंचे इसके लिए ऐसा आदेश जारी किया जाना चाहिए.

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