नई दिल्ली. अफगानिस्तान में एक आतंकी समूह तालिबान की वापसी के बाद से यह संदेह बना हुआ है कि भारत पर हमला करने के लिए आतंकवादी यहां शरण पा सकते हैं। साथ ही ये शंकाएं सच होती दिख रही हैं। दरअसल, एक खुफिया रिपोर्ट में जानकारी के हवाले से कहा गया है कि अफगानिस्तान में आतंकी गठजोड़ का एक नया नेटवर्क विकसित किया जा रहा है। इसे ‘तहरीक-ए-तालिबान अमीरात’ (TTA) कहा जाता है। आतंकी समूह पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क के सहयोग से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए तैयार है।
आपको बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद हाल के दिनों में सबसे ताकतवर आतंकी संगठन बनकर उभरा है। जैश प्रमुख मसूद अजहर और मोहम्मद इब्राहिम अजहर को अफगान ऑपरेशन समन्वय का प्रमुख नियुक्त किया गया है। दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद की अफगानिस्तान में आतंकियों को ट्रेनिंग देने की योजना है। यह अपने ट्रेंड आतंकवादियों के माध्यम से अन्य नए तालिबान कैडरों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा। पता चला है कि जैश-ए-मोहम्मद के कई खूंखार आतंकियों को अफगानिस्तान ऑपरेशन के तहत भेजा गया है।
यह भी बताया गया है कि हक्कानी नेटवर्क के इस्लामिक स्टेट (IS) से भी संबंध हैं। ऐसे में भारत को हक्कानी नेटवर्क की चिंता करनी चाहिए। खबर मिली है कि अफगानिस्तान में सरकार बनाने की प्रक्रिया तेज है और हक्कानी नेटवर्क को भी इसमें जगह मिल सकती है. हक्कानी नेटवर्क ने कई फिदायीन हमले किए हैं। उन्होंने विदेशी सैनिकों के लिए नागरिकों के जीवन का दावा किया है। हालांकि इन सबके बाद भी हक्कानी नेटवर्क तालिबान सरकार का एक बड़ा ताकतवर सदस्य बनकर उभर सकता है। इनके संबंध ISI पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी से भी हैं।
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