New Education Policy 2020: क्लॉस 3 से 5 तक में बांटा जाएगा जो दूसरा चरण होगा. इसके बाद तीसरे चरण यानी मध्य चरण में कक्षा छठी से आठवीं होगी और माध्यमिक चरण चार साल का होगा जिसमें कक्षा नौंवी, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं शामिल होगी. इसके अलावा स्कूलों में आर्ट्स, कॉमर्स, साइंस स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा यानी छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें ले सकते हैं.
नई दिल्ली: New Education Policy 2020: नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है और अब इसे बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसे ऐसे समझिए कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे.
अगले तीन साल को क्लॉस 3 से 5 तक में बांटा जाएगा जो दूसरा चरण होगा. इसके बाद तीसरे चरण यानी मध्य चरण में कक्षा छठी से आठवीं होगी और माध्यमिक चरण चार साल का होगा जिसमें कक्षा नौंवी, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं शामिल होगी. इसके अलावा स्कूलों में आर्ट्स, कॉमर्स, साइंस स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा यानी छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें ले सकते हैं.
नई शिक्षा नीति में कुछ खास बातों का ख्याल रखा गया है जैसे शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूक करने पर जोर. छात्रों की क्षमताओँ को बढ़ावा देने और उसे निखारने पर जोर दिया जाएगा. रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा और वैचारिक समझ को प्रोत्साहित किया जाएगा. साइंस और आर्ट्स के बीच कोई अंतर नहीं होगा. पहले आर्ट्स वाला कमजोर और साइंस वाले बच्चे को तेज समझा जाता था. इसके अलावा नैतिकता और संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंंगी.
नई नीति के मुताबिक 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाना होगा जिसमें 3000 से अधिक छात्र पढ़ाई करेंगे.
2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा. संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा जिससे बच्चों को इसका सीधा फायदा पहुंचेगा.
उच्चा शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा. संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे. ग्रेजुएशन की डिग्री 3 से 4 साल की होगी. 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा.
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