नई दिल्ली: भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। नेहरू के रिश्तों की बात करें तो उनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था। अंतिम वायसराय लुईस माउंटबेटन की पत्नी और नेहरू के संबंधों पर भी विवाद चलता रहता है। लेकिन लोगों को इस बारे में नहीं पता कि एक आदिवासी महिला को भी नेहरू की पत्नी माना जाता है। इस महिला का नाम है बुधनी मंझियाइन। नेहरू को एक माला पहनना बुधनी के लिए जीवन भर दर्द सहने का कारण बन गया।
दरअसल, 17 नवंबर, 2024 को 80 साल की बुधनी मंझियाइन इस दुनिया से विदा हो गईं। वो पिछले करीब 64 साल से से अपनी ही जाति-समाज में बहिष्कार का दंश झेल रही थीं। यह बुधनी ही थीं, जिन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में दामोदर वैली कॉरपोरेशन के पंचेत डैम और हाईडल पावर प्लांट का उद्घाटन किया था। उस वक्त जब सम्मानित करने के लिए बुधनी ने नेहरू माला पहनाई तो नेहरू ने भी बुधनी के गले में डाल दी। उस वक्त बुधनी की केवल उम्र 15 वर्ष थी।
दरअसल संथाल आदिवासी में किसी पुरुष का महिला या लड़की को माला पहनाना शादी माना जाता है। उस वक्त समुदाय के बाहर शादी करने पर समाज से बहिष्कार कर दिया जाता था। तत्कालीन पीएम नेहरू के माला पहनाने को आदिवासी समुदाय ने शादी माना। समुदाय से बाहर एक गैर-आदिवासी से ‘शादी करने’ की वजह से बुधनी मंझियाइन को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया।
बुधनी के अपने गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। बुधनी मंझियाइन की ये कहानी 17 नवंबर को सामने आई, जब बुधनी की पंचेत की एक झोपड़ी में मौत हो गई। यहां झोपड़ी में वह अपनी बेटी रत्ना के साथ रहती थी। दोहरे समाज ने उस वक्त तो उन्हें अपमानित करके गांव से बाहर निकाल दिया, उनका जीवन नर्क बना दिया लेकिन मौत के बाद उनका स्मारक बनाने के लिए मांग की।
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