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भारतीय रेलवे को कवच प्रणाली में मिली सफलता, जानें कैसे करेगा काम?

नई दिल्ली। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल ने बताया कि 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले एक सेमी-हाई स्पीड इंजन में ट्रेनों की टक्कर रोधी प्रणाली ‘कवच’ के ब्रेकिंग मापदंडों की जांच करने के लिए किए गए हालिया परीक्षण के परिणाम उम्मीद के मुताबिक रहे हैं। अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन […]

Indian Railway
  • January 25, 2024 1:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल ने बताया कि 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले एक सेमी-हाई स्पीड इंजन में ट्रेनों की टक्कर रोधी प्रणाली ‘कवच’ के ब्रेकिंग मापदंडों की जांच करने के लिए किए गए हालिया परीक्षण के परिणाम उम्मीद के मुताबिक रहे हैं। अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित ‘कवच’ प्रणाली ट्रेन चालक के समय पर हरकत में आने में विफल रहने पर आपात स्थिति में अपने आप ब्रेक लगा सकती है। भारतीय रेलवे परिचालन सुरक्षा बढ़ाने के लिए इस प्रणाली को लागू करने की प्रक्रिया में है।

परिक्षण हुआ सफल

ये परीक्षण सुबह 10 बजे उत्तर प्रदेश के वृन्दावन से शुरू हुआ और तय समय के अनुसार डाउन लाइन दिशा में हरियाणा के पलवल में दोपहर एक बजकर 20 मिनट तक पूरा हो गया। रेलवे ने बताया कि इस प्रक्रिया को उत्तर प्रदेश लाइन दिशा में पलवल से वृन्दावन तक दोपहर दो बजे से तीन बजकर 35 मिनट के बीच दोहराया गया। अधिकारियों ने बताया कि अब मंडल जल्द यात्री डिब्बों के साथ ट्रेनों पर ये परीक्षण दोहराएगा।

कितनी है क्षमता?

डब्ल्यूएपी-5 लोकोमोटिव 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्री डिब्बों को खींचने में सक्षम है और इसका इस्तेमाल शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में किया जाता है। आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे के उप मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर कुश गुप्ता की देखरेख में एक सेमी-हाई स्पीड इंजन डब्ल्यूएपी-5 को ‘कवच’ प्रणाली से लैस किया गया तथा 19 जनवरी को पलवल-मथुरा खंड पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इसका परिचालन किया गया।