पटना. विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड में चल रहा है और खेल बिहार में. सियासी लिहाज से जरखेज बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है लेकिन तैयारी अभी से चल रही है. वहां पर प्रयास के बावजूद भाजपा अभी तक अपना सीएम नहीं बना पाई है लिहाजा केंद्रीय मंत्री और हिंदूत्व के झंडाबरदार गिरिराज सिंह […]
पटना. विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड में चल रहा है और खेल बिहार में. सियासी लिहाज से जरखेज बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है लेकिन तैयारी अभी से चल रही है. वहां पर प्रयास के बावजूद भाजपा अभी तक अपना सीएम नहीं बना पाई है लिहाजा केंद्रीय मंत्री और हिंदूत्व के झंडाबरदार गिरिराज सिंह ने स्वाभिमान यात्रा निकाली जिसको लेकर भाजपा और जेडीयू आमने-सामने आने लगी थी.
ऐसा लगा पलटी मारने में माहिर नीतीश बड़ा खेल कर देंगे. वक्त की नजाकत को भांपकर भाजपा ने गिरिराज की यात्रा से कन्नी काट ली और सोमवार को जब नीतीश के आवास पर एनडीए की बैठक हुई तो केंद्रीय मंत्री को दूसरी लाइन में बिठा दिया. इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है कि खुद नीतीश कुमार ने 2020 के चुनाव में साफ कर दिया था कि ये चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा. अब ऐसा क्या हुआ कि सीएम निवास पर जो बैठक हुई उसमें नीतीश कुमार को ही बॉस माना गया और उन्हीं के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला हुआ. स्लोगन बना 2025 फिर से नीतीश.
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह को दूसरी पंक्ति में बैठना पड़ा. दरअसल केंद्र में तीसरी बार बनी मोदी सरकार जेडीयू और टडीपी की बैसाखी पर है. जिस दिन से ये सरकार बनी है उसी दिन से यह चर्चा हो रही है कि क्या मोदी सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी या मध्यावधि चुनाव होगा. जब भी यह बात होती है नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर आकर बात अटक जाती है. इस तरह नीतीश कुमार मौजूदा राजनीति की वो हकीकत हैं जिसे भाजपा न निगल पा रही है और न ही उगल पा रही है.
खबरों के मुताबिक भाजपा इस बात को लेकर बेहद परेशान है कि बिहार में अभी तक उसका सीएम नहीं बन पाया है. सम्राट चौधरी ने शपथ लेने के बाद भाजपा सरकार बनाने का संकल्प लिया था. माना जा रहा है इसी मकसद को साधने के लिए केंद्रीय मंत्री और भाजपा के फायरब्रांड नेता केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने स्वाभिमान यात्रा शुरू की थी लेकिन जदयू और नीतीश कुमार के तेवर देखकर अपने कदम पीछे खींच लिये. भाजपा कन्नी काट गई और एनडीए की बैठक में उन्हें दूसरी पंक्ति में बैठना पड़ा. संदेश एकदम साफ है कि बिहार एनडीए के नीतीश कुमार ही बॉस हैं और वो ही सीएम उम्मीदवार. फिलहाल भाजपा वहां बैक सीट पर ही बैठेगी.