नई दिल्ली: राज्यसभा में 12 सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें एनडीए गठबंधन ने 11 सीटें जीती हैं तो कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ही हासिल हुई है। उम्मीदवारों के निर्विरोध चयन के बाद अब राज्यसभा में भाजपा की ताकत और बढ़ गई हैं। आपको बता दें इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एनडीए […]
नई दिल्ली: राज्यसभा में 12 सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें एनडीए गठबंधन ने 11 सीटें जीती हैं तो कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ही हासिल हुई है। उम्मीदवारों के निर्विरोध चयन के बाद अब राज्यसभा में भाजपा की ताकत और बढ़ गई हैं। आपको बता दें इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एनडीए राज्यसभा आत्मनिर्भर हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार को किसी भी बिल को पास करवाने में विपक्षी पार्टियों का सहारा नही लेना पड़ेगा। आइए आपको राज्यसभा का गणित समझाते हैं।
राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें से आठ सीटें खाली हैं। फिलहाल सदन में सदस्यों की संख्या 237 है। राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है। उच्च सदन में भाजपा के 9 और उम्मीदवारों के जीतने के बाद उसके सदस्यों की संख्या 96 हो गई है और उसके सहयोगी दलों के 16 सदस्य हैं। ऐसे में राज्यसभा में एनडीए के पास 112 हो गई है। इसीके साथ 6 मनोनीत और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। अब विपक्ष केंद्र द्वारा प्रस्तावित किसी भी महत्वपूर्ण विधेयक को विरोध नही कर पाएगा।
इस बजट सत्र में एनडीए ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024, विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2024 और वित्त (संख्या 2) विधेयक, 2024 प्रस्तुत किया जिसे मंजूरी मिल गई जबकि वक्फ संपत्ति (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली), विधेयक, 2014 को राज्यसभा से वापस ले लिया गया है। विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया। उच्च सदन में बहुमत मिलने के बाद एनडीए सरकार को विधेयक पारित कराने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
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