NCRB Data on Riots in India: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा से हुआ खुलासा, भारत में दंगे हुए कम, लोग हुए अधिक बर्बर

NCRB Data on Riots in India, NCRB ke Data ne Btaya Bhaarat me Dango ke Halat: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, एनसीआरबी के डाटा से खुलासा हुआ है कि भारत में दंगे कम हो रहे हैं, लेकिन जितने भी हो रहे हैं ये ज्यादा तीव्र हैं. यानि कि भारत में दंगे पहले के मुकाबले अब संख्या में कम हुए हैं. हालांकि हैरानी की बात है कि पहले के मुकाबले ये दंगे ज्यादा तीव्र यानि खतरनाक रहे. भारत में एनसीआरबी आंकड़ों से पता चलता है कि भले ही दंगों की संख्या में कमी आई हो, लेकिन दंगा पीड़ितों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सांप्रदायिक दंगों की संख्या 2016 में 869 से घटकर 2017 में 723 हो गई. 2017 में, भारत ने हर दिन औसतन 247 पीड़ितों के साथ 161 दंगों को देखा. दंगों की संख्या में 5 प्रतिशत की कमी आई लेकिन दंगा पीड़ितों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यहां दंगों में सांप्रदायिक, जातिगत, कृषि संबंधी, संपत्ति विवादों के कारण शामिल हैं.

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NCRB Data on Riots in India: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा से हुआ खुलासा, भारत में दंगे हुए कम, लोग हुए अधिक बर्बर

Aanchal Pandey

  • October 22, 2019 3:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. भारत में दंगों की तीव्रता बढ़ रही है और औसतन देश में 2017 में हर दिन 247 पीड़ितों के साथ 161 दंगों के मामले देखे गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में दंगा पीड़ितों की कुल संख्या में 2017 में 22 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है. भले ही दंगों की घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत की कमी देखी गई. एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया 2017 रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई थी. इस रिपोर्ट से पता चला है कि 2017 में, भारत में 58,880 दंगे हुए, जबकि दंगा पीड़ितों की संख्या 90,394 थी. इसकी तुलना में, एक साल पहले दंगों के मामलों की संख्या 61,974 थी और पीड़ितों की संख्या 73,744 (यानी हर दिन 169 दंगे और 202 पीड़ित) थी.

यहां केवल सांप्रदायिक दंगों का उल्लेख नहीं किया गया है. इसमें भूमि / संपत्ति विवाद, जाति संघर्ष, राजनीतिक कारण, सांप्रदायिक मुद्दे, छात्र विरोध आदि के कारण होने वाले दंगे भी शामिल हैं. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 146 इस तरह से दंगे को परिभाषित करती है कि जब भी किसी गैरकानूनी विधानसभा द्वारा या किसी भी सदस्य द्वारा ऐसी विधानसभा की सामान्य वस्तु के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए बल या हिंसा का उपयोग किया जाता है, तो ऐसी विधानसभा का प्रत्येक सदस्य दंगा करने के अपराध का दोषी होता है. आईपीसी के अनुसार, किसी को भी दंगा करने का दोषी पाया जाता है, उसे अधिकतम दो साल जेल की सजा, या जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है.

2017 में 11,698 दंगों के मामले के साथ, बिहार 2017 में भारत के सबसे ज्यादा दंगे हुए. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 8,990 मामले और महाराष्ट्र में 7,743 मामले थे. संयोग से, 2016 में भी, बिहार में दंगों के मामले सबसे अधिक थे. लेकिन बिहार दंगों के मामलों में ऊपर है तो तमिलनाडु वो राज्य है जो दंगा पीड़ितों की संख्या में सबसे ऊपर है. 2017 में, तमिलनाडु में 1,935 दंगों के मामले देखे गए, लेकिन पीड़ितों की संख्या 18,749 थी. देश के अन्य हिस्सों में दंगों की तुलना में तमिलनाडु में दंगे बहुत तीव्र और हिंसक थे. तमिलनाडु में हर दंगे के लिए, औसतन 9 पीड़ित थे. राज्यों में, दंगों के मामले में पंजाब सबसे शांतिपूर्ण था क्योंकि वहां सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया. इसके बाद मिजोरम में 2 मामले और नागालैंड और मेघालय में 5-5 मामले थे.

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