नई दिल्ली. आम्रपाली के फ्लैट्स खरीदने वालों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक बड़ी राहत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकारी कंपनी नैशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन आम्रपाली के लगभग एक दशक से अटके फ्लैट्स का काम पूरा करेगी. कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 11 फरवरी को करेगा. इसके लिए एनबीसीसी ने कहा है कि वो 8 फरवरी से काम शुरू कर देंगे. वहीं इस बारे में एनबीसीसी ने दावा किया है कि इन फ्लैट्स का काम तेजी से निपटाया जाएगा और एक साल में ही 2,643 फ्लैट्स बनाकर आवंटित कर दिए जाएंगे. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद एनबीसीसी अधिकारियों ने होम बायर्स के कानूनी प्रतिनिधि एमएल लाहोटी के साथ एक मीटिंग की. साथ ही इस मीटिंग में निर्माणाधीन फ्लैट्स के काम का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार किया गया.
- कहा जा रहा है कि इस ब्लूप्रिंट के अनुसार, एनबीसीसी 8 फरवरी से काम शुरू करेगी. इसके पहले चरण में 2011 में शुरू हुए तीन प्रोजेक्ट पर काम होगा. इसमें नोएडा के सफायर वन और सफायर टू का काम शुरू होगा. इसी के साथ ग्रेटर नोएडा के कैसल हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स का काम भी शुरू होगा. इन सभी में कुल 77.54 करोड़ रुपये की लागत तय की गई है. वहीं इस पहले चरण के तहत 2,643 फ्लैट्स बनाकर आवंटित कर दिए जाएंगे.
- इसके बाद फंड मिलते ही दूसरे चरण में ड्रीम वैली और सेंचुरियम पार्क का काम शुरू किया जाएगा. इन दोनों प्रॉजेक्ट्स का काम शुरू होने के एक साल के अंदर 679 फ्लैट्स आवंटित कर दिए जाएंगे. बता दें कि अभी लगभग 10 सालों से आम्रपाली के कई प्रोजेक्ट्स का काम अटका हुआ है. इस कारण लगभग 46 हजार घर के खरीदार अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं.
- इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के घर खरीदने वालों को राहत देते हुए फैसला सुनाया था. एनबीसीसी को सुप्रीम कोर्ट ने इसका काम पूरा करने की जिम्मेदारी दी जिसके बाद आम्रपाली के सभी अटके हुए प्रॉजेक्ट्स का जायजा किया. एनबीसीसी ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि सभी प्रोजेक्ट्स का काम वो लगभग तीन साल में पूरा कर देंगे. इसके लिए एनबीसीसी ने 85 अरब रुपये की जरूरत बताई.
- एनबीसीसी को काम सौंपने के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के शीर्ष अधिकारियों को पुलिस हिरासत में भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन सभी अधिकारियों को पुलिस हिरासत में एक होटल में रखा गया था जिससे की वो हर दिन पुलिस अधिकारियों के साथ ऑफिस जाकर जांच कर रही टीम को सारे कागज दें. साथ ही कंपनी के खातों की फरेंसिक ऑडिट का आदेश भी दिए गए थे.
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