नई दिल्ली, नवरात्रि के सांतवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है, कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं, उनसे भूत- पिशाच कोसों दूर भाग जाते हैं. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.
कहा जाता है कि नवरात्री के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा- आराधना करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय जीवन में कभी नहीं सताता है. वहीं, मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का होता है, माँ का ऐसा रंग होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं होती हैं, कहा जाता है कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. कहा जाता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी हो जाती हैं और भय उनसे दूर हो जाते हैं.
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें, इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर सच्चे मन से माँ कालरात्रि का स्मरण करें. इतना ही नहीं, मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ अर्पित करें. इसके बाद मां को रातरानी पुष्प अर्पित करें. माँ कालरात्रि को रातरानी का पुष्प ज़रूर अर्पित करें क्योंकि माँ को रातरानी का पुष्प बहुत प्रिय है. इसके बाद मां की पूजा कथा पढ़ें और मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें. मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ जरूर अर्पित करें, क्योंकि माँ को गुड़ बहुत प्रिय है. माँ कालरात्रि की पूजा करते समय लाल रंग के वस्त्र ज़रूर धारण करें, क्योंकि माँ को लाल रंग बहुत प्रिय है.
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