Shardiya Navratri 2019: नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी की होती है अराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र समेत पूरी जानकारी

Shardiya Navratri 2019: नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा होती है, इनकी भक्ति से विवाह की रूकावट दूर होती है, इसके साथ ही रोग, भय से दिलवाती हैं हमेशा के लिए छुटकारा. देवी कात्यायनी को राक्षसों और पापियों के पाप को नाश करने वाली देवा कहा जाता है. जानिए नवरात्र के छठे दिन की पूजा विधि

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Shardiya Navratri 2019: नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे रूप देवी कात्यायनी की होती है अराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र समेत पूरी जानकारी

Aanchal Pandey

  • September 30, 2019 6:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. शारदीय नवरात्र में दुर्गा मां के 9 रूपों की अराधना की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की अराधना होती है, चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा होती है, पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की अराधना की जाती है. छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, वहीं 7वें दिन देवी कालरात्रि की पूजा होती है. आठवें दिन माता महागौरी की अराधना की जाती है और नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा के साथ ही नवरात्रि समाप्त हो जाती है. इसके अगले दिन विजयादशमी मनाई जाती है.

आइए, हम आपको बताते हैं कि नवरात्रि के छठे दिन दुर्गा माता के मां कात्यायनी रूप की पूजा क्यों की जाती है और इससे क्या लाभ मिलता है. साथ ही ये भी जानेंगे कि दुर्गा माता का ये नाम क्यों पड़ा? हिंदू मान्यताओं के अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ऋषि हुए, जिनके पुत्र का नाम ऋषि कात्य था. उन्हीं के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध ऋषि कात्यायन पैदा हुए. उन्होंने भगवती पराम्बरा की कठिन तपस्या की. उनकी इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें. मां दुर्गा ने उनकी तपस्या स्वीकार कर ली.

इसी समय पृथ्वी पर महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार काफी बढ़ा हुआ था. महिषासुर के सर्वनाश के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवी दुर्गा से मदद मांगी और बाद में अपने तेज से कात्यायनी नामक देवी ने पृथ्वी पर आकर महिषासुर का वध किया. इसके बाद से तीनों लोकों में दुर्गा माता के कात्यायनी रूप की पूजा होने लगी.

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मां कात्यायनी का स्वरूप: मां कात्यायनी की 4 भुजाएं हैं, दाहिने तरफ ऊपर का हाथ अभय मुद्रा में है. नीचे का हाथ वरदमुद्रा में है. बायें ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है और इनका वाहन भी सिंह है.

पूजन का समय: चैत्र शुक्ल षष्ठी को प्रात: काल

नवरात्रि के छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है. इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है और दुश्मनों का नाश करने में सक्षम बनाती हैं मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इस मंत्र को कंठस्थ कर नवरात्रि के छठे दिन इसका जाप करना चाहिए.

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

इसके अतिरिक्त जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही है, उन्हें इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए. जिससे उनको मन-मुताबिक वर की प्राप्ति होती है. विवाह के लिए कात्यायनी मंत्र-

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥

 

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