National level Boxing Medalist: नेशनल लेवल में बॉक्ससिंग लेवल में मेडल, स्टेट लेवल पर कई मेडल, चंडीगढ़ की रितु अब काट रही पार्किंग की पर्ची

National level Boxing Medalist : देश में टोक्यो ओलिंपिक्स का खुमार सभी के सिर चढ़ कर बोल रहा है। खासकर एक गोल्ड आने के बाद तो चारों ओर इसी को चर्चा हो रही है। लेकिन शायद हम कुछ दिनों बाद सब भूल जाएंगे। भूल जाएंगे कि इस मेडल के हासिल करने के लिए कितने सालों की मेहनत लगती है।

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National level Boxing Medalist: नेशनल लेवल में बॉक्ससिंग लेवल में मेडल, स्टेट लेवल पर कई मेडल, चंडीगढ़ की रितु अब काट रही पार्किंग की पर्ची

Aanchal Pandey

  • August 8, 2021 5:32 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली. देश में टोक्यो ओलिंपिक्स का खुमार सभी के सिर चढ़ कर बोल रहा है। खासकर एक गोल्ड आने के बाद तो चारों ओर इसी को चर्चा हो रही है। लेकिन शायद हम कुछ दिनों बाद सब भूल जाएंगे। भूल जाएंगे कि इस मेडल के हासिल करने के लिए कितने सालों की मेहनत लगती है।

सरकारें भी मेडल आने के बाद श्रेय लेने की होड़ में लग जाती हैं। यकीन हकीकत ये हैं कि हमारा खिलाड़ियों के प्रति ये प्रेम कहीं न कहीं झूठा नजर आता है। देश की बेटियां पदक लेकर अपना और देश का नाम ऊंचा कर रही हैं और सरकारें भी उनके लिए इनाम घोषित कर रही हैं। वहीं इन सब के बीच एक ऐसी बेटी भी है जो बॉक्सिंग,रेसलिंग और वॉलीबॉल में नेशनल और स्टेट तक खेल चुकी है। लेकिन अब कड़कती धूप और बारिश में पार्किंग की पर्चियां काटने पर मजबूर है। किस्मत साथ देती तो शायद वो भी इस वक्त ओलिंपिक खेल रही होती।

परिवार की मजबूरियों के आगे उसने अपने शौक, अपनी इच्छाएं खत्म कर दीं। लेकिन आज भी उसकी उम्मीदें बरकरार है। सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें,वीडियो और कहानी वायरल होने के बाद उसकी आस जगी है कि शायद उसे कोई प्रमोट करने के लिए आगे आएगा और वह अपने सपने पूरे कर सकेगी। 23 साल की रितु के परिवार में उसके अलावा मां बाप, बड़ा भाई जो एक हॉस्पिटल में कुक और दो छोटे भाई हैं जिन्होंने हाल ही में 12वीं की पढ़ाई पूरी की है।

चंडीगढ़ के धनास निवासी रितु ने अपने खेल की शुरुआत 10 साल की उम्र में सेक्टर-35 मॉडल से की और फिर सेक्टर-20 मॉडल में इसे आगे बढ़ाया। साल 2014 से लेकर 2017 तक उसने तीनों सपोर्ट में कई टूर्नामेंट भी खेले। 2017 में 60-62 वेट कैटागरी में तेलंगना में नेशनल स्कूल गेम्स में बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

वॉलीबॉल में भी नेशनल खेली और रेसलिंग में नेशनल खेलने के बाद सर्टिफिकेट मिला। स्टेट लेवल पर वॉलीबॉल और बॉक्सिंग में 1-1 गोल्ड और 1-1 सिल्वर पदक जीता तो रेसलिंग में 1 गोल्ड मेडल जीता। खेल की दुनिया में और आगे बढ़ने के सपने संजो ही रही थी कि इस बीच पिता बीमार हो गए। वे रिक्शा चलाते थे। उन्हें शुगर और मोतियाबिंद हो गया जिसके बाद उसे अपनी स्पोर्ट्स और पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। स्पोर्ट्स टीचर परमजीत सिंह के कहने पर 12वीं की पढ़ाई ओपन बोर्ड से की और उसके बाद छोटा-मोटा काम करने लगीं। पिछले एक साल से वह सेक्टर-22 की शास्त्री मार्केट में पार्किंग की पर्चियां काट रही हैं।

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