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National Bamboo Mission NBM Scheme: जानें क्या है राष्ट्रीय बैंबू मिशन, बांस की खेती कर किसान कैसे उठा सकते हैं इस योजना का लाभ

नई दिल्ली: National Bamboo Mission NBM Scheme: देश के किसानों के विकास के लिए मोदी सरकार कई योजनाएं चला रही है. नेशनल बेंबू मिशन भी उन्हीं कुछ योजनाओं में से एक है. राष्ट्रीय बैंबू मिशन के तहत अब किसान बांस की खेती कर करोड़ों रुपये कमा सकते हैं. सरकार ने नया नियम लागू करते हुए कहा है कि बांस काटने पर अब फॉरेस्ट एक्ट नहीं लगया जाएगा, जिससे अब कई किसान बिन किसी रुकावट के बांस की खेती कर सकते हैं. राष्ट्रीय बैंबू मिशन के तहत किसान अगर बांस की खेती करता है तो उसे प्रति पौधा 120 रुपये सरकार की ओर से दिए जाएंगे.

आपको बता दें कि 25 अप्रैल 2018 में मोदी सरकार ने बांस को पेड़ की कैटेगरी से हटा दिया था. ध्यान दें कि ऐसा सिर्फ निजी जमीन के लिए किया गया है, फॉरेस्ट विभाग की जमीन पर जो बांस लगे हैं उनपर वन कानून पहले की तरह ही लागू किया जाएगा. किसानों को सरकारी नर्सरी से बांस की 136 प्रजातियों की फ्री पौध उपलब्ध कराई जाएगी. इन 136 किस्म के बांस में से सबसे ज्यादा 10 प्रजातियों का इस्तेमाल किया जाता है. किसानों को बांस की प्रजाति का चयन अपने काम और जरुरत की हिसाब से करना होगा.

National Bamboo Mission Objectives: राष्ट्रीय बैंबू मिशन के लक्ष्य

  • बांस की खेती में विकास करना.
  • जहां पर बांस की खेती की जा सकती है, वहां पर बांस की खेती को और बढ़ाना
  • बांस से बनाए गए उत्पादों की मार्केटिंग करना और उनको प्रोमोट करना
  • बांस के विकास के लिए स्टेक होल्डर्स के बीच तालमेल स्थापित करना.
  • बांस की खेती के जरिए स्किल्ड और नॉन स्किल्ड लोगों में रोजगार के मौके पैदा करना, जिसमें से मुख्यता बेरोजगारों पर जोर दिया जाएगा

सरकार किस तरह करेगी किसानों की मदद

बांस के एक प्लांट की लागत तीन साल में करीब 240 रुपये आएगी. इसमे से सरकार की ओर से प्रति प्लांट 120 रुपये किसानों को दिए जाएंगे. आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर अन्य सभा राज्यों में बांस की खेती के लिए सरकार और किसान 50-50 फीसद योगदान देंगे. इस 50 फीसद शेयर में 60 फीसद केंद्र सरकार और 40 फीसद राज्य सरकार लगाएगी. वहीं बात करें पूर्वोत्तर राज्यों की तो वहां पर बांस की खेत करने पर 60 फीसद सरकार और 40 फीसद योगदान किसान की ओर से होगा. इस 60 फीसद में से भी केंद्र सरकार की 90 फीसद और राज्य सरकार की 10 फीसद हिस्सेदारी होगी.

एग्जीक्यूटिव कमेटी (EC) राष्ट्रीय बैंबू मिशन की सभी गतिविधियों पर नजर रखेगी और सभी राज्यों और केंद्र-शासित राज्यों के लिए एक्शन प्लान को अप्रूव करेगी. राष्ट्रीय बैंबू मिशन को तकनीकी सहायता देने के लिए बैंबू टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप (BTSG) का भी गठन किया गया है. फिलहाल अभी तीन तरह की BSTSG तकनीक इस मिशन को आगे बढ़ान के लिए सहयोग कर रही हैं.

  • केन एंड बैंबू टेक्नोलॉजी सेंटर (CBTC), गुवाहाटी
  • इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट रिसर्च एंड एजुकेशन, (ICFRE) देहरादून
  • केरल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट (KFRI), पीची

राष्ट्रीय बैंबू मिशन की ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार अभी तक इस स्कीम के तहत 17 राज्यों को लाभ मिल चुका है. इस योजना पर अभी तक ( 30 दिसंबर 2018) 111.05 करोड़ रुपये सरकार खर्च कर चुकी है. इसके अलावा 88 बैंबू ट्रीटमेंट यूनिट्स, 464 प्रोडक्ट डेवलप्मेंट/ प्रोसेसिंग यूनिट्स, 135 इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स बांस के बाजार के प्रोमोशन के लिए बनाए गए हैं. इसके साथ ही बांस की खेती के लिए 15740 हेक्टेयर जमीन की मंजूरी भी मिल चुकी है. राष्ट्रीय मिशन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप ऑफिशियल वेबसाइट www.nbm.nic.in पर भी जा सकते हैं.

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Aanchal Pandey

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