नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की सजा, 10 लाख का जुर्माना

Social Activist: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख कार्यकर्ता और समाज सेविका मेधा पाटकर को मानहानि के मामले में 5 महीने की जेल की सजा सुनाई है। इस फैसले में साकेत कोर्ट ने पाटकर पर 10 लाख रुपये का मुआवजा भी निर्दिष्ट किया है, मेधा पाटकर पर तत्कालीन KVIC चेयरमैन वीके सक्सेना (अब दिल्ली के LG) द्वारा दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई हुई है।

विवाद का संक्षिप्त परिचय

मेधा पाटकर, जो नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) की अगुआई करती हैं, इस फैसले से गुहार लगा रही हैं कि वे न्यायप्रियता की मांग करती हैं और अपने कार्य में सच्चाई और समर्पण का प्रतीक हैं। उन्होंने फैसले के खिलाफ आपत्ति जाहिर की है, जिसमें उन्होंने अदालत के फैसले को चुनौती भी दी है।

Delhi’s Saket court sentenced Narmada Bachao Andolan activist Medha Patkar to 5 months simple imprisonment, in a defamation case filed by then KVIC Chairman V K Saxena (now Delhi LG).

The court has also directed Medha Patkar to pay a compensation of Rs. 10 lakh to V K Saxena

— ANI (@ANI) July 1, 2024

विवादित मामला

इस मामले की शुरुआत उन दिनों हुई थी, जब पाटकर ने डीएलएसए विरुद्ध एक विज्ञापन प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने वीके सक्सेना और डीएलएसए के कई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इस पर सक्सेना ने न्यायिक कार्यवाही की मांग की थी, जिसके बाद मेधा पाटकर पर मानहानि के आरोपों में मुकदमा दायर किया गया था।

Delhi’s Saket court has suspended the sentence for 30 days to allow Narmada Bachao Andolan activist Medha Patkar to challenge the judgement

— ANI (@ANI) July 1, 2024

कोर्ट का फैसला और प्रतिक्रिया

साकेत कोर्ट ने अपने फैसले में मेधा पाटकर के खिलाफ आरोपों को सही साबित करते हुए उन्हें 5 महीने की जेल की सजा सुनाई है, जो सजा 30 दिनों के लिए सस्पेंड की गई है। उन्हें 10 लाख रुपये का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया गया है, जिसे पाटकर को डीएलएसए को भुगतना होगा।

फैसले के बाद मेधा पाटकर ने व्यक्तिगत रूप से अपने पक्ष का समर्थन जताया है, कहते हुए कि “सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की, हम सिर्फ अपना काम करते हैं।”

#WATCH | Delhi: Narmada Bachao Andolan activist Medha Patkar says, “The truth can never be defeated…We have not tried to defame anyone, we only do our work…We will challenge the court’s judgement…” https://t.co/8KDuq5ufK8 pic.twitter.com/hDelxBLe4G

— ANI (@ANI) July 1, 2024

न्याय की ओर अग्रसर

मेधा पाटकर और उनके प्रशंसक इस फैसले को न्यायपूर्वक मानते हैं, जबकि अन्य लोग इसे विवादास्पद और राजनीतिक रूप से अवांछनीय मानते हैं। इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए अब वकीलों और अदालती प्रक्रिया का इंतजार है। दिल्ली के न्यायिक समीक्षा प्रणाली की जांच की जाती है, जो न्यायपालिका के महत्वपूर्ण कार्यों को दर्शाती है और न्याय की प्रक्रिया में स्पष्टता और स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

 

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