Narendra Modi UNGA speech: पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली Response कहां है? भारत के लोग UN के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये Process कभी logical end तक पहुंच पाएगा। कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के decision making structures से अलग रखा जाएगा।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त राष्ट्र सभा को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा भारत को इस बात का बहुत गर्व है कि वो संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक देशों में से एक है। आज के इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं आप सभी के सामने भारत के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं इस वैश्विक मंच पर साझा करने आया हूं। आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं। अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं।
ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों और हमलों में, जो मारे गए वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़ कर चले गए। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?
पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली Response कहां है? भारत के लोग UN के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये Process कभी logical end तक पहुंच पाएगा। कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के decision making structures से अलग रखा जाएगा।
भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते। भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है। न कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में, भारत की नीतियां हमेशा से इसी दर्शन से प्रेरित रही हैं। Pandemic के इस मुश्किल समय में भी भारत की pharmaceutical industry ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं।
विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं।भारत की Vaccine Production और Vaccine Delivery क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। अगले वर्ष जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर भी अपना दायित्व निभाएगा। दुनिया के अनेक देशों ने भारत पर जो विश्वास जताया है, मैं उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हूं। विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी
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