Narendra Modi Govt Spectrum Scam: कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर लगाया 69000 करोड़ के स्पेक्ट्रम घोटाले का आरोप, कहा- कोर्ट की निगरानी में हो जांच

Narendra Modi Govt Spectrum Scam: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के कारण कांग्रेस पर उंगलियां उठती ही रही हैं. इस बार कांग्रेस को इसी मामले में नरेंद्र मोदी सरकार पर उंगली उठाने का मौका मिला है. कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम अपने दोस्तों को बांट दिया. नरेंद्र मोदी सरकार पर इस डील में 69,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगाए हैं.

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Narendra Modi Govt Spectrum Scam: कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर लगाया 69000 करोड़ के स्पेक्ट्रम घोटाले का आरोप, कहा- कोर्ट की निगरानी में हो जांच

Aanchal Pandey

  • January 16, 2019 11:42 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. कांग्रेस ने कैग रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार में माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम डील में घोटाला हुआ है. कांग्रेस का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी तय नियम और उच्चतम न्यायालय के आदेश से अलग अपनी मर्जी से अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाया है. इस पर अभी केंद्र की भाजपा सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. कांग्रेस ने मांग की है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए.

इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया से बात की और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मोदी सरकार के जाने का समय आ गया है और इससे पहले ही उनके घोटाले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम के आवंटन में पहले आओ, पहले पाओ की नीति का सहारा लिया गया और सरकार ने अपने ही कुछ उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाया. इससे घोटाले से सरकारी खजाने को 560 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि उनकी सरकार में कोई घोटाला नहीं हुआ लेकिन पिछले कुछ महीनों कई घोटाले सामने आ गए है. स्पेक्ट्रम आवंटन का घोटाला सबसे ताजा है. कैग रिपोर्ट से ही पता चला कि स्पेक्ट्रम के लिए 101आवेदन आए थे, लेकिन नियमों और स्पेक्ट्रम नीलामी संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं माने और स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए.’

उन्होंने जांच की मांग उठाते हुए कहा कि हमारी मांग है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो और यह निष्पक्ष जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में ही हो सकती है. बता दें कि हाल ही में कैग ने एक रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार स्पेक्ट्रम प्रबंधन में खामियों के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ. रिपोर्ट में पाया गया कि एक दूरसंचार ऑपरेटर को 2015 में समिति की सिफारिशों के उलट ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर कुछ स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया. वहीं सरकार के पास माइक्रोवेव (एमडब्ल्यू) स्पेक्ट्रम के 101 आवेदन लंबित थे.

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