चुनाव में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए मोदी सरकार ने बाॅंड के जरिए चुनावी चंदा देने की योजना बनाई है. ये बाॅंड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विशेष शाखाओं में मिलेंगे और ये एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये के गुणांक में हो सकते हैं.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने चुनाव में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए बाॅंड के जरिए चुनावी चंदा देने की योजना बनाई है. सरकार ने इस बाबत इलेक्टोरल बाॅंड स्कीम का ऐलान कर दिया है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को संसद में इसका ऐलान करते हुए कहा कि भारत का कोई भी नागरिक, कोई कंपनी या संस्था चुनावी चंदे के लिए बाॅंड खरीद सकते हैं. वित्त मंत्री के मुताबिक ये बाॅंड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विशेष शाखाओं में मिलेंगे और ये एक हजार, दस हजार, एक लाख और एक करोड़ रुपये के गुणांक में हो सकते हैं. यानी आपको जिस पार्टी को भी जितना भी चंदा देना है उतने पैसे के बॉन्ड खरीद लो और उस पार्टी को दे दो.
इन बाॅंड्स के बारे में एक और खास बात ये है कि ये बाॅंड्स खरीदे जाने के 15 दिन तक ही मान्य होंगे. ये बाॅंड जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में दस दिनों के लिए बैंकों में बिक्री के लिए रखे जाएंगे. आम चुनावों के दौरान बैंकों में बाॅंड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिनों का समय दिया जाएगा. बाॅंड के लिए दानकर्ता को अपनी (केवाईसी) यानी अपनी जानकारी बैंक को देनी होगी, लेकिन बाॅंड में दानकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
दानकर्ता चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड ऐसी किसी भी पार्टी को ये दान दे सकते हैं, जिस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल वोटों का कम से कम 1 प्रतिशत वोट हासिल किया हो. हालांकि काला धन रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम की भी आलोचना हो रही है. चुनाव सुधार में पार्दर्शिता लाने के लिए काम कर रही संस्थाओं का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद कौन सी पार्टी किस संस्था या कंपनी के हितों को मदद पहुंचा रही है ये पता लगा पाना मुश्किल होगा क्योंकि चंदा देने वाले का नाम गुप्त रखा गया है.