नई दिल्ली. मनमोहन सिंह सरकार के दो वरिष्ठतम मंत्रियों प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम की खुलेआम लड़ाई आप अब तक भूले नहीं होंगे. इस हफ्ते नरेंद्र मोदी सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमन ने खुले आम यानी पब्लिक में जो बातें की हैं उस ‘खेल’ से प्रणब मुखर्जी और पी चिदंबरम की याद ताज़ा हो गई है. केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने नौसेना को लेकर ‘ईंच’ से नापकर एक ऐसा बयान सार्वजनिक रूप से दिया जो रक्षा मंत्री होने के नाते निर्मला सीतारमन को निश्चित रूप से परेशान कर रहा होगा. वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने सरकारी चैनल डीडी नेशनल को ट्वीटर पर जिस लहजे में डपटा है वो बात सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी को जरूर चुभ रही होगी.
सबसे पहले बात मोदी सरकार के सीनियर मंत्री नितिन गडकरी की जो डिफेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमन के विभागीय दायरे में आने वाली नौसेना पर क्रोधित हैं. गडकरी 11 जनवरी को दक्षिण मुंबई में क्रूज़ टर्मिनल की बुनियाद रखने गए थे. वहीं उन्होंने भरी सभा में नौसेना को लताड़ना शुरू कर दिया. गडकरी ने कहा- “आए थे मेरे पास ज़मीन मांगने. मैं उनको (नौसेना को) एक इंच ज़मीन नहीं दूंगा. प्लीज़ फिर से मत आना. हर कोई साउथ मुंबई की बेशकीमती ज़मीन पर क्वॉर्टर और फ्लैट बनाना चाहता है. मैं नौसेना का सम्मान करता हूं लेकिन आपको पाकिस्तान बॉर्डर पर जाकर गश्त करनी चाहिए.”
अब ये जान लीजिए कि नितिन गडकरी नौसेना पर क्यों भड़के हैं. दरअसल कुछ दिन पहले सड़क के साथ-साथ जहाजरानी विभाग के मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में नौसेना की एक जेटी से सी-प्लेन उड़ाने की मंजूरी मांगी थी. नितिन गडकरी सी-प्लेन को परिवहन का साधन बनाने में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं. सी-प्लेन उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है लेकिन नौसेना ने सुरक्षा का हवाला देकर अपनी जेटी से सी-प्लेन उड़ाने की मंजूरी नहीं दी. ये बात नितिन गडकरी को इतनी अखरी कि उन्होंने इस बारे में रक्षा मंत्री से बात करने की बजाय खुलेआम सार्वजनिक सभा में नौसेना को दक्षिण मुंबई में सरकारी आवास के लिए ज़मीन देने से मना कर दिया और नौसेना को पाकिस्तान बॉर्डर जाने की सलाह दे मारी. देश में ईंच की चर्चा हो तो लोग 56 ईंच के सीने की चर्चा करते थे लेकिन गडकरी ने नौसेना को एक ईंच जमीन नहीं देने के खुले ऐलान से ईंच चर्चा को नया आयाम दे दिया है.
दूसरे मंत्रियों के विभागों में दखल देने से परहेज करने या तालमेल बिठाने की बजाय ताना मारने का खेल खेलने में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन भी पीछे नहीं रहीं. 6 जनवरी को तेलगू संत और संगीतज्ञ त्यागराज की याद में वार्षिक त्यागराज आराधना हो रही थी. सरकारी चैनल दूरदर्शन पर इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण हो रहा था. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन भी इस कार्यक्रम का आनंद ले रही थीं. उन्होंने सुबह 9.59 बजे ट्वीट करके इसका सीधा प्रसारण करने के लिए दूरदर्शन को धन्यवाद भी दिया लेकिन बमुश्किल 7 मिनट बाद निर्मला सीतारमन का मूड खराब हो गया. दूरदर्शन ने सीधा प्रसारण बीच में रोका क्योंकि विज्ञापन दिखाना था.
निर्मला सीतारमन ने बिना देरी किए ट्विटर पर दूरदर्शन को लानत भेजनी शुरू कर दी. उन्होंने लिखा- “यो डीडी नेशनल, क्या तुम पंचरत्ना कृति पूरा होने के लिए कुछ पल इंतज़ार नहीं कर सकते थे? विज्ञापन और बहुत कुछ. विचारहीन, असंवेदनशील.” अगर निर्मला सीतारमन वरिष्ठ मंत्री ना होतीं और उन्होंने सरकारी चैनल के बारे में ट्वीट ना किया होता तो इसे सामान्य मान लिया जाता लेकिन दूरदर्शन का इन-डायरेक्ट कंट्रोल नरेंद्र मोदी सरकार की एक और सीनियर मिनिस्टर स्मृति ईरानी के हाथ में है. इसलिए दूरदर्शन के बारे में निर्मला सीतारमन की भड़ास के मायने तलाशे जा रहे हैं. ये सवाल भी उठ रहा है कि निर्मला अपना कड़वा अनुभव सलाह के रूप में स्मृति ईरानी से बांट भी तो सकती थीं. इसके बदले निर्मला सीतारमन ने सरकारी चैनल की सार्वजनिक फजीहत क्यों की?
नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमन का दूसरे के विभागों के बारे में बयानबाज़ी का स्मृति ईरानी के साथ जो त्रिकोण बनता है, उसे मोदी सरकार के अंदरूनी समीकरणों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. निर्मला सीतारमन के बारे में माना जाता है कि उनको संघ का वरदहस्त हासिल है और उनका इतनी जल्दी रक्षा मंत्री बन जाना इसका सबूत है. स्मृति ईरानी अघोषित रूप से नरेंद्र मोदी कैंप में हैं जबकि नितिन गडकरी खुद में एक कैंप हैं जो संघ को भी अति प्रिय हैं.
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अलग-अलग कैंप वाले मोदी के इन मंत्रियों का दूसरे के विभागों को लेकर जो पब्लिक तेवर है, उससे मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पी चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी की खुली जंग की याद आ रही है. 2011 में पी चिदंबरम गृह मंत्री थे और प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्रालय संभाल रहे थे. मुखर्जी और चिदंबरम के बीच अदावत इतनी बढ़ी कि गृह सचिव ने बाकायदा आदेश जारी कर दिया कि वित्त मंत्रालय की एजेंसियां (ईडी, इनकम टैक्स) से फोन टैपिंग का अधिकार छीना जाता है. जबकि 2005 में गृह मंत्रालय ने ही मंजूरी दी थी कि ईडी और इनकम टैक्स जैसे विभागों के सक्षम अधिकारी ज़रूरत पड़ने पर किसी का भी फोन टैप करवा सकते हैं. दोनों के रिश्तों में कड़वाहट इस कदर थी कि वित्त मंत्रालय में जासूसी उपकरण तक फिट करवा दिए गए थे. बदले में वित्त मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में 2जी मामले में पी चिदंबरम की भूमिका को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था.
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चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी की लड़ाई तो प्रणब दा के राष्ट्रपति बनने के बाद ठंडी पड़ गई लेकिन नरेंद्र मोदी के मंत्रियों के विभागों के बीच बिगड़ा तालमेल कैसे सुधरेगा, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. एक साल बाद आम चुनाव होना है और 2019 के चुनाव से पहले मोदी सरकार के मंत्री इस तरह से एक-दूसरे के मंत्रालय के तहत आने वाले विभागों की खुले में इस तरह बेइज्जती करेंगे तो उसका राजनीतिक असर बाहर भले ना दिखे, अंदर तो होगा ही.
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