नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलाया किया. आकंड़ों के अनुसार, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सरकारी क्षेत्रों के बैंकों ने साल 2016 में 615 खातों में 58 हजार 561 करोड़ का कृषि लोन दिया गया है. यानी हर एक खाताधारक के खाते में औसतन 95 करोड़ का एग्रीकल्चर लोन ट्रांस्फर किया गया है.
गौरतलब है कि अन्य लोन के मुकाबले कृषि लोन बहुत कम ब्याज दर पर किसानों को खेतीबाड़ी करने के मिलता है. इसके साथ ही इस लोन में कुछ निर्धारित शर्तें भी बताई जाती हैं. वर्तमान में किसानों को कृ्षि लोन के रूप में 4 प्रतिशत ब्याज के साथ लोन दिया जा रहा है. ऐसे में जानकार सू्त्रों की माने तो ये कृषि लोन किसानों के खातों में नहीं बल्कि एग्रो बिजनेस कंपनियों को दिया गया है.
कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने द वायर से बातचीत करते हुए बताया कि बड़ी-बड़ी एग्रो कंपनियां किसानों के नाम पर कृषि लोन ले रही हैं. उनका कहना है कि ये कौनसे और कहां के किसान हैं जिन्हें 100 करोड़ लोन दिया जा रहा है. ये सब दिखावा है. वास्तव में एग्रो इंडस्ट्री को किसानों के नाम पर लोन दिया जा रहा है.
बता दें कि 2014-15 में मोदी सरकार ने 8.5 लाख करोड़ का कृषि लोन देने का लक्ष्य बनाया जिसे 2018-19 में पहले से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ कर दिया. आंकड़ो के अनुसार, साल 2016 से पू्र्व भी बड़ी मात्रा में कृषि लोन के नाम पर लोगों को लोन दिया गया है. साल 2015 में 52 हजार 143 करोड़ का लोन महज 604 खातों में दिया गया था यानी हर एक खाते में औसतन 86.33 करोड़ पहुंचे.
हालांकि सिर्फ मोदी सरकार ही नहीं यूपीए सरकार का भी यही हाल था. साल 2014 में सिर्फ 659 खातों में 60 हजार 156 करोड़ का कृषि लोन दिया गया था. आंकड़ों के अनुसार, यह अंकों का खेल साल दर साल बढ़ोतरी कर रहा है. गौरतलब है कि साल 2007 में 464 किसानों के खाते में 43 हजार 664 करोड़ का कृषि लोन दिया गया जो साल 2016 में बढ़कर करीब 59000 करोड़ रुपए हो गया.
अगर औसत निकाल कर देखें तो करीब डेढ़ हजार करोड़ का लोन हर साल बढ़ता गया. ऐसे में देश के किसानों की हालत में कोई सुधार देखने को नहीं मिल पाया है. बता दें कि कृषि लोन तीन कैटेगरी के अनुसार दिया जाता है जिनमें कृषि ऋण, कृषि बुनियादी ढांचे और सहायक गतिविधियों के लिए श्रण देने का प्रावधान बनाया गया है.
ऐसे में गोदाम, कोल्ड स्टोरेज जैसी चीजें बुनियादी ढांचे के तहत आती हैं जिनके लिए 100 करोड़ रुपए तक लोन दिया जाता है. वहीं एग्री बिजनेस सेंटर की स्थापना और एग्री क्लिनिक सहायक गतिविधियां के अंतर्गत आती हैं और इनके लिए भी 100 करोड़ रुपए तक लोन देने का प्रावधान है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकारें किसानों के नाम पर एग्री कॉरपोरेट का हित साधने पर लगी हुई हैं.
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