Narendra Modi Govt Curbs School Bags Weight: स्कूल बैग के वजन पर नरेंद्र मोदी सरकार की लगाम, 5 किलो से भारी बस्ता नहीं, क्लास 2 तक होमवर्क नहीं

Narendra Modi Government Curbs Heavy School Bags: नरेंद्र मोदी सरकार ने एक अहम आदेश जारी कर स्कूली बच्चों के स्कूली बैग के वजन की सीमा तय कर दी है. साथ ही दूसरी क्लास तक के बच्चों को होमवर्क न देने को कहा है. इस फैसले से खासकर छोटे बच्चों को राहत मिलेगी, जिनके बैग का वजन एक्स्ट्रा किताबें और चीजों के कारण भारी हो जाता है.

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Narendra Modi Govt Curbs School Bags Weight: स्कूल बैग के वजन पर नरेंद्र मोदी सरकार की लगाम, 5 किलो से भारी बस्ता नहीं, क्लास 2 तक होमवर्क नहीं

Aanchal Pandey

  • November 26, 2018 6:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. स्कूलों में छोटे बच्चों की बढ़ते बस्ते के बोझ को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को अहम फैसला लिया. मानव संस्थान विकास मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि अब से सरकारी स्कूल की पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के होमवर्क नहीं दिया जाएगा. साथ ही बैग के वजन की सीमा भी निर्धारित की गई है. आधिकारिक आदेश के मुताबिक, एचआरडी मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि पढ़ाने के तरीके और स्कूल बैग के वजन को कंट्रोल करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करें.

आदेश के मुताबिक, पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के बैग का वजन 1.5 किलो और तीसरी से पांचवी क्लास के बच्चों के बैग का वजन 2 से 3 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दूसरी ओर छठी और सातवीं के छात्रों का बैग 4 किलो, जबकि आठवीं से नौवीं क्लास के छात्रों का स्कूल बैग 4.5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दसवीं के छात्रों के स्कूल बैग का वजन 5 किलो निर्धारित किया गया है.

निर्देशों के मुताबिक, स्कूल दूसरी क्लास तक के बच्चों को होमवर्क भी नहीं दे सकेंगे. आदेश में कहा गया, ”पहली और दूसरी क्लास के लिए भाषा और गणित और तीसरी से पांचवी क्लास के लिए ईवीएस और मैथ के अलावा स्कूलों को कोई और विषय तय नहीं करना चाहिए.” इसके अलावा अतिरिक्त किताबें और सामग्री लाने के लिए भी मना किया गया है, ताकि बच्चे के स्कूल बैग का बजन तय सीमा से ज्यादा न हो.

1993 में यशपाल कमिटी ने भारी स्कूल बैग की समस्या पर सुझाव देकर कहा था कि किताबों को स्कूल प्रॉपर्टी मानना चाहिए. स्कूलों को बच्चों को लॉकर देना चाहिए. इसमें होम वर्क और क्लास वर्क के लिए अलग-अलग टाइमटेबल बनाने की बात कही गई थी, ताकि बच्चों को हर रोज वही किताबें स्कूल में न ले जानी पड़ें. 
बेंगलुरु मिरर ने जुलाई 2017 में एक टेस्ट रन आयोजित किया था, जिसमें स्कूली बच्चों के बस्तों का वजन 11 किलो तक पाया गया. 

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