नई दिल्ली. तीन तलाक पर अध्यादेश को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, जिसके बाद यह अपराध की श्रेणी में आ गया है. अब मोदी सरकार को तीन तलाक बिल 6 महीने में पास कराना होगा. इसे मुस्लिम अधिकारों की वकालत करने वाली महिलाओं के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है. तीन तलाक बिल पिछले दो सत्रों से राज्यसभा में लटका हुआ है. लोकसभा में यह पास हो चुका है. अध्यादेश में वही प्रावधान होंगे तो प्रस्तावित कानून और लोकसभा में पास हुए बिल में हैं. आइए आपको बताते हैं तीन तलाक अध्यादेश की 5 अहम बातें:
– अगर कोई मुस्लिम पत्नी को इंस्टेंट तलाक देता है तो उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है.
-तीन तलाक गैर जमानती अपराध और संज्ञेय होगा.पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में गुजारा भत्ता और नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांग सकती है.
– सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को इंस्टेंट तीन तलाक के चलन को असंवैधानिक करार देकर निरस्त कर दिया था. इस मुद्दे पर कोर्ट का फैसला तीन-दो के बहुमत से आया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक बार में तीन तलाक संविधान में दिए गए बराबरी के हक का उल्लंघन है.
-कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है, इसलिए उसे संविधान में दी गई धार्मिक आजादी के तहत संरक्षण नहीं दिया जा सकता. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शरियत कानून 1937 की धारा 2 में ट्रिपल तलाक को दी गई मान्यता रद्द कर दी.
-पिछले कई वर्षों से मुस्लिम अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली महिलाएं ट्रिपल तलाक को खत्म करने की मांग करती आ रही हैं. कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद उनके बीच खुशी की लहर दौड़ गई है.
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