नई दिल्ली. साल 2019 के भारत रत्न के नामों का ऐलान हो चुका है. है. इसी के साथ इस साल का भारत रत्न पाने वाले नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका हैं जिन्हें ये सम्मान मरणोपरांत दिया जाएगा. नानाजी देशमुख की प्रोफाइल की बात करें तो प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख का जन्म 11 अक्टूबर सन 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले में हुआ था. वह ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थें. नानाजी देशमुख ने अपने जीवन में खूब समाजसेवा की जिन्हें आज भी भुलाया नहीं जा सकता.
- नानाजी देशमुख ने ग्रामीण विकास में अहम योगदान दिया. इतना ही नहीं उनके सामाजिक कार्यों के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. अटल सरकार के दौरान ही शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
- समाजसेवी नानाजी देशमुख का मानना था कि मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं”,. इसे पंक्ति को लेकर अन्य लोगों ने उन्होंने प्रेरणा दी. इतना ही नहीं सरस्वती शिशु मन्दिर नामक स्कूलों की स्थापना सबसे पहले नानाजी ने ही गोरखपुर में की थी. बता दें आज भी इन स्कूलों की संख्या देशभर में खूब हैं.
- नानाजी देशमुख पूर्व में भारतीय जनसंघ से जुड़े थे. वह जन संघ के पाञ्चजन्य समाचार पत्र में नानाजी प्रबंध निदेशक की भूमिका निभा चुके हैं. आरआरएस विचारक नानाजी देशमुख को 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मंत्री पद भी दिया गया था लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया था. हालांकि उन्हें राज्यसभा का सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मनोनीत किया था.
- 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इस प्रतिबंध को हटने के बाद भारतीय जनसंघ की स्थापना का निर्णय हुआ और बड़े बड़े नेताओं ने नानाजी को इसका विस्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश भेजा गया. इस जिम्मेदारी को निभाते हुए उन्होंने 1957 तक उत्तर प्रदेश के हर जिले में जनसंघ की इकाइयां स्थापित कर दीं.
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