नई दिल्ली, राष्ट्रपति चुनाव के लिए अब देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा की ओर से जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह को बड़ी जिम्मेदारी मिली है. बीजेपी के यह दोनों बड़े नेता सभी दलों से विचार-विमर्श करेंगे. बता दें, भाजपा से पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी 15 जून […]
नई दिल्ली, राष्ट्रपति चुनाव के लिए अब देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा की ओर से जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह को बड़ी जिम्मेदारी मिली है. बीजेपी के यह दोनों बड़े नेता सभी दलों से विचार-विमर्श करेंगे. बता दें, भाजपा से पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी 15 जून को विपक्ष की एक मीटिंग बुलाई है.
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अब भाजपा की विपक्ष को साधने की कवायद तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जिम्मे अब बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. नड्डा और राजनाथ सिंह अब सभी विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श करने का कार्यभार संभालेंगे. अब इन दोनों नेताओं पर एनडीए, यूपीए और गैर यूपीए दलों के साथ सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी होगी. बता दें, इस साल मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. जहां 18 जुलाई को भारत में एक बार फिर 16वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए राष्ट्रपति चुनाव होंगे. जहां इस संबंध में 21 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे.
15 जून को होने वाली विपक्षी दलों की संयुक्त कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए केरल के सीएम पिनारी विजयन, तेलंगाना के सीएम केसीआर, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, पंजाब के सीएम भगवंत मान, आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव, सीपीआई के महासचिव डी. राजा, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, एसडीएफ के अध्यक्ष पवन चामलिंग, आईयूएमएल के अध्यक्ष केएम केदार मोहिद्दीन, एनसीपी नेता शरद पवार, आरएलडी नेता जयंत चौधरी, जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी, जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला को निमंत्रण भेजा गया है.
कैसा होगा अगर हम आपसे कहें कि भारत का राष्ट्रपति भी आप ही यानी जनता चुनती है? आपके मन में यह सवाल आएगा कि राष्ट्रपति के लिए किसी तरह के कोई चुनाव नहीं करवाए जाते, फिर ऐसा कैसे संभव है. दरअसल राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया में भारत के नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेते हैं. राष्ट्रपति कौन होगा इसका फैसला जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि (विधायक और सांसदों) द्वारा ही किया जाता है. संविधान में इस बात का ज़िक्र है कि भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाएगा.
भाजपा ने अपने अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति वाले उम्मीदवार पर एनडीए सहयोगियों, यूपीए-गठबंधन दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ चर्चा करने के लिए अधिकृत किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 12, 2022
इस संबंध में अनुच्छेद 45 कहता है कि राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज यानी निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाएगा. बता दें, निर्वाचन मंडल का गठन राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति दोनों के चुनाव के लिए किया जाता है. जहां इस मंडल के सदस्य लोकसभा व राज्यसभा के सांसद तथा विभिन्न राज्यों की विधानसभा के विधायक होते हैं जो राष्ट्रपति चुनाव से पहले विधायक बने हो. ये सब सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान करते हैं. जहां इनका प्रतिनिधित्व अनुपातिक होता है. इस प्रक्रिया को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं जो किसी आम चुनाव से अलग है. आइये आपको समझाते हैं की आखिर यह सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम क्या है?
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