नई दिल्ली। दिल्ली में नगर निगम चुनावों मे भले ही आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की हो लेकिन केजरीवाल के सामने भविष्य मे बड़ी चुनौतियां मुंह खोले हुए खड़ी हैं। आने वाले समय मे केजरीवाल को अब अपनी रणीनीतियों मे बदलाव करना होगा। अब मुस्लिम वोट बैंक मे सेंध मारने की नीति इस चुनाव […]
नई दिल्ली। दिल्ली में नगर निगम चुनावों मे भले ही आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की हो लेकिन केजरीवाल के सामने भविष्य मे बड़ी चुनौतियां मुंह खोले हुए खड़ी हैं। आने वाले समय मे केजरीवाल को अब अपनी रणीनीतियों मे बदलाव करना होगा। अब मुस्लिम वोट बैंक मे सेंध मारने की नीति इस चुनाव के बाद खत्म हो गई है। कुछ नीतियों के चलते मुस्लिम समुदाय का केजरीवाल के प्रति मोह भंग हो गया है।
दिल्ली नगर निगम चुनावों मे भले ही आम आदमी पार्टी के 134 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, लेकिन वहीं केजरीवाल को कांग्रेस ने भी बड़ा झटका दिया है, इस बार कांग्रेस ने लगभग 12 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था और इसका फायदा कांग्रेस को हुआ। आया वगर और निहाल विहार वॉर्ड को छोड़कर बाकी सभी वार्डों बृजपुरी, मुस्तफाबाद, कबीर नगर, शास्त्री पार्क, चौहान बांगर, जाकिर नगर अबुल फजल एंकल्व मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कांग्रेस ने केजरीवाल को मात दी है।
आम आदमी पार्टी की मुस्लिम बहुल इलाकों में हार से यह तय हो जाता है कि, मुस्लिम मतदाताओं के मन से आम आदमी पार्टी का भूत उतर चुका है। साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को लेकर कांग्रेस भी संतुष्ट हो चुकी है।
दिल्ली दंगो से लेकर रामनवमी के जलूस तक केजरीवाल ने सीएम होते हुए भी व्यक्तिगत रूप में अपने आप को इस मामले से दूर रखा था। साथ ही गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकीस बानो के आरोपियों की रिहाई पर भी केजरीवाल की चुप्पी मुस्लिम मतदाताओं के लिए अहसनीय रही। जिसका परिणाम दिल्ली नगर निगम चुनाव में केजरीवाल को देखने को मिला। हम आपको बता दें कि, इन सभी मुद्दों को लेकर केजरीवाल ने प्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्रकार का बयान न देते हुए दूरी बना रखी थी।