September 17, 2024
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हलाला के नाम पर दूसरे मर्दों से संबंध बनाने को मजबूर मुस्लिम महिलाएं, जानिए क्या कहता है इस्लाम?

  • WRITTEN BY: Aprajita Anand
  • LAST UPDATED : September 10, 2024, 12:24 pm IST

नई दिल्ली: निकाह हलाला की कंट्रोवर्सिअल प्रक्रिया का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में मौलवी मुस्लिम महिलाओं की मजबूरी का फायदा उठाते हैं और उनके साथ एक रात बिताते हैं. जो इस्लामिक कानून के तहत अपनी शादियां बचाना चाहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह खुलासा हुआ है कि निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए ये लोग 20 हजार रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक की रकम लेते हैं.

जानें क्या हैं निकाह हलाला?x

मौजूदा मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रावधानों के मुताबिक, अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो चुका है और वह उसी पति से दोबारा शादी करना चाहती है, तो उसे पहले किसी दूसरे व्यक्ति से शादी करनी होगी और वहां एक रात गुजारनी होगी. इसे निकाह हलाला कहा जाता है. इसके बाद उस दूसरे व्यक्ति से तलाक लेना पड़ता है. ऐसा होने पर ही वह दोबारा शादी कर सकती है और अपने पहले पति के साथ रह सकती है. हालांकि, इस्लामिक विद्वानों के मुताबिक मौलवियों ने हलाला के इस नियम को अपनी इच्छानुसार तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.

जानें हराम का अर्थ

जानकारों के मुताबिक हलाला इस्लाम में हराम है. अगर कोई पति अपनी पत्नी को पूर्ण तलाक (तलाक-ए-मुगल्लजा) यानी तीन तलाक देता है तो अब पति अपनी पत्नी से दोबारा शादी नहीं कर सकता. यहां भी तीन महीने में तीन तलाक या एक बार में तीन तलाक दिया जा सकता है. इसके बाद अब ये पुरुष और महिलाएं किसी और से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं. नियम में आगे कहा गया है कि अगर कोई महिला किसी अन्य पुरुष से शादी करती है और फिर उससे तलाक ले लेती है या उसके पति की मृत्यु हो जाती है, तो महिला अब किसी अन्य पुरुष से दोबारा शादी करने के लिए स्वतंत्र है. और अब कोई महिला अपने पहले पति से भी शादी कर सकती है. यह भी शर्त रखी गई कि यह महज एक संयोग होना चाहिए. यानी अगर कोई महिला जानबूझकर किसी दूसरे पुरुष से शादी करती है और फिर उसे तलाक देकर अपने पहले पति से शादी करना चाहती है तो ऐसा नहीं हो सकता है, इसे हराम माना जाता है।

मौलाना देते हलाला की सलाह

अगर कोई पति अपनी पत्नी को तलाक देता है और फिर उस महिला से दोबारा शादी करना चाहता है तो मौलाना हलाला की सलाह देते हैं. कई मुस्लिम देशों ने इस अमानवीय प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन यह प्रथा भारत, पाकिस्तान, ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में अभी भी प्रचलित है. केंद्र ने हलफनामे में कहा- तीन तलाक की प्रथा शादी जैसी सामाजिक संस्था के लिए घातक है.

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