धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया है कि मंदिर वहीं बनेगा जहां राम की जन्मभूमि है, इसके अतिरिक्त कोई फार्मूला मान्य नहीं होगा
लखनऊ. कर्नाटक के उडुपी में धर्म संसद में राममंदिर को लेकर आरएसएस प्रमुख द्वारा दिए गए बयान पर मुस्लिम नेताओं के द्वारा कड़ी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया है. भागवत के इस बयान पर जहां असदुद्दीन औवेसी ने सवाल खड़े किए हैं वहीं निर्मोही अखाड़ा प्रमुख ने कहा कि इस प्रकार के सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले बयानों से बचने की सलाह दे डाली. वहीं इन सब से विपरित अयोध्या विवाद के मुस्लिम पक्षकारों ने इस बयान पर कड़ा विरोध जताया है. बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने भागवत के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोहन भागवत कौन होते हैं इस मुद्दे पर बोलने वाले, वे क्या हैं, उनका मामले से क्या मतलब है. उनके कहने से न तो मंदिर बन जाएगा और न ही मस्जिद.
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इस मामले पर सुनवाई चल रही है, इस मामले में आरएसएस पक्षकार भी नहीं है, तो भागवत कौन होते हैं इस मामले को तूल देने वाले. महबूब ने कहा कि वे क्या हैं, उनका मामले से क्या मतलब है. उनके कहने से न तो मंदिर बन जाएगा और न ही मस्जिद. महबूब ने कहा कि 5 दिसंबर से मामले में सुनवाई शुरू हो रही है अब कोर्ट जो फैसला देगी वही मान्य होगा. हाजी महबूब के अलावा कई मुस्लिम संगठनों ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे उच्चतम न्यायालय को चुनौती करार दिया है. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी ने भी भागवत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा भागवत ने उच्चतम न्यायालय को चुनौती दी है, कि वह चाहे जो फैसला दे, मगर मंदिर वहीं बनेगा.
जीलानी ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें लगता है कि भागवत ने गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिये ये हथकंड़ा अपनाया है. उन्होंने कहा कि अयोध्या का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, मगर इसके बावजूद भागवत ने ऐसा बयान दिया है. यह गुजरात विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिये अपनाया गया हथकंडा मात्र है. वहीं इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी का कहना है कि बोर्ड अदालत के फैसले पर यकीन रखता है और उसके फैसले के मुताबिक अमल की कोशिश करेगा. भागवत ने वह बयान देकर कानून को अपने हाथ में लिया है. मोहन भागवत के बयान पर ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि संघ प्रमुख उच्चतम न्यायालय से बढ़कर नहीं हैं. अयोध्या मामले में न्यायालय जो निर्णय देगा, उसे भागवत को भी मानना पड़ेगा.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी में धर्म संसद में कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर सिर्फ मंदिर बनेगा. वहां कुछ और नहीं बनेगा. भागवत ने कहा कि राम मंदिर उन्हीं पत्थरों से बनेगा और उन्हीं की अगुआई में बनेगा, जो इसका झंडा लेकर पिछले 25 वर्षो से चल रहे हैं.
मोहन भागवत का ऐलान, राम जन्म भूमि पर सिर्फ मंदिर ही बनेगा, कोई और ढांचा नहीं