Mumbai Pune Hyperloop: मुंबई और पुणे के बीच करीब 135 किलोमीटर की दूरी महज 25 मिनट में पूरी की जा सकेगी. महाराष्ट्र की देवेंद्र फणनवीस सरकार ने अल्ट्रा स्पीड हायपरलूप प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा. हायपरलूप ट्रांसपोर्टेशन तकनीक बुलेट ट्रेन से भी फास्ट होगी और मुंबई और पुणे के बीच अधिकतम स्पीड 496 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. इसके लिए मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स और पुणे के वाकड के बीच हायपरलूप प्रोजेक्ट बनाया जाएगा. हायपरलूप में कैप्सूल्स के जरिए लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है. यदि यह प्रोजेक्ट जल्द ही पूरा हो जाता है तो भारत हायपरलूप आधारित पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा.
मुंबई. आने वाले कुछ सालों में मुंबई और पुणे के बीच हायपरलूप तकनीक पर आधारित परिवहन की शुरुआत होने वाली है. हायपरलूप ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के जरिए मुंबई और पुणे के बीच महज 25 मिनट में सफर पूरा किया जा सकेगा. यह तकनीक बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा फास्ट होगी. महाराष्ट्र की देवेंद्र फणनवीस सरकार ने मुंबई-पुणे हायपरलूप ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा और आने वाले कुछ सालों में लोग मुंबई और पुणे के बीच करीब 135 किलोमीटर की दूरी को महज 25 मिनट में पूरा कर सकेंगे. अभी दोनों शहरों के बीच सड़क मार्ग के जरिए सफर करने पर करीब साढ़े 3 घंटे लगते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हायपरलूप प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स (बीकेसी) और पुणे के वाकड में स्टेशन बनाया जाएगा. इस रूट पर 496 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हायपरलूप तकनीक पर आधारित ट्यूब्स दौड़ेंगी. इस अल्ट्रा फास्ट हायपरलूप प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र राज्य कैबिनेट ने मंजूर कर लिया है.
क्या है हायरपरलूप तकनीक?
हायरपरलूप एक अल्ट्रा स्पीड ट्रैवल वाली भविष्य की तकनीक है. अमेरिकी कंपनी वर्जिन हायरपरलूप वन और दुबई की कंपनी डीपी वर्ल्ड इस तकनीक को विकसित करने पर काम कर रही है. इसकी टेस्टिंग जारी है. हालांकि अभी तक इसे किसी भी देश में सार्वजनिक यातायात के लिए शुरू नहीं किया है.
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यदि मुंबई-पुणे हायपरलूप पर जल्द ही काम शुरू हो जाता है तो भारत हायपरलूप को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में यूज करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. हालांकि यह इतना भी आसान नहीं है, क्योंकि हायपरलूप तकनीक बहुत महंगी है और यह तय नहीं हुआ है कि यह तकनीक पूरी तरह से लोगों के लिए सुरक्षित है या नहीं.
कैसे काम करती है हायपरलूप तकनीक?
हायपरलूप ट्रांसपोर्टेशन तकनीक के अंतर्गत दो शहरों या स्टेशन के बीच एक सुरंगनुमा रूट तैयार किया जाता है. जिसमें पूरी पैक कैप्सूल्स होती हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक तेजी से खिसकाई जा सकती हैं. इन कैप्सूल में लोगों को बिठाया जाएगा और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर भेजा जाएगा.
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