बुढापे में नहीं बनना चाहते किसी पर बोझ, बीमारियों के चलते वृद्ध दंपत्ति ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु

एक बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर 'एक्टिव यूथनेशिया' यानी ऐसी इच्छ मृत्यु की मांग की है. हालांकि, दोनों बुजुर्गों को अभी तक कोई भी स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बड़ी परेशानी नहीं है लेकिन गंभीर रूप से बीमार होने और "समाज में योगदान" देने में सक्षम नहीं होने के डर से उन्होंने यह राष्ट्रपति को पत्र लिखकर यह मांग की है.

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बुढापे में नहीं बनना चाहते किसी पर बोझ, बीमारियों के चलते वृद्ध दंपत्ति ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मांगी इच्छा मृत्यु

Aanchal Pandey

  • January 9, 2018 12:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

मुंबई: मुंबई के एक बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर ‘एक्टिव यूथनेशिया’ यानी ऐसी इच्छ मृत्यु की मांग की है. हालांकि, दोनों बुजुर्गों को अभी तक कोई भी स्वास्थ्य से जुड़ी कोई बड़ी परेशानी नहीं है लेकिन गंभीर रूप से बीमार होने और “समाज में योगदान” देने में सक्षम नहीं होने के डर से उन्होंने यह राष्ट्रपति को पत्र लिखकर यह मांग की है. मिली जानकारी के अनुसार, यह बुजुर्ग दंपति चारनी रोड़ के समीप ठाकुरद्वार में रहते हैं जिसमें 79 वर्षीय ईरावति लवाटे एक रिटायर स्कूल प्रिंसपल हैं तो उनके 86 वर्षीय पति एक पूर्व सरकारी कर्मचारी हैं. दोनों के कोई संतान भी नहीं है.

एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए बुजुर्ग ईरावती ने बताया कि हम ने अपनी शादी के पहले साल ही यह फैसला किया था कि अपने बच्चे नहीं करेंगे क्योंकि हम बुढ़ापे में किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते हैं. जिसके बाद अब बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति कार्यालय में इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए एक पत्र भेजा है. आपको बता दें कि भारतीय कानून ऐसी इच्छा मृत्यु की आज्ञा नहीं देता है. वहीं इस मामले में डॉक्टर रूप गुरसहानी ने बताया कि कि यहां तक ​​कि जिन देशों में सक्रिय इच्छामृत्यु कानूनी है, वहां भी इसकी मांग करने वाले को एक गंभीर रोग होना चाहिए. आगे उन्होंने कहा कि कुछ देशों में चिकित्सकों की सहायता से मरना संभव है, लेकिन सभी लोकतंत्र प्रभावी कानून और न्याय व्यवस्था के साथ हैं.

हालांकि, यह गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए आरक्षित है. आगे उन्होंने कहा कि किसी को भी सिर्फ इसलिए मृत्यु की मांग नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनके बुढ़ापे में उनकी देखभाल करने के लिए कोई परिवार नहीं है. इन बुजुर्ग दंपति ने जो पत्र राष्ट्रपति को लिखा है उसमें साफ है कि दोनों बुजुर्ग स्वास्थ्य में बिल्कुल ठीक हैं. यह पत्र 21 दिंसबर 2017 को लिखा गया है. वहीं इस मामले में बुजु्र्ग लवाटे का कहना है कि अगर राष्ट्रपति को लिखा पत्र संवैधानिक तरह से मौत की सजा को माफ कर सकता है तो ‘मृत्यु के अधिकार’ की अनुमति देने की शक्ति भी होनी चाहिए.

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