PM Modi: पीएम मोदी की माँ हीरा बा का आज अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में इंतकाल हो गया। ख़बर के मुताबिक़, मंगलवार को उन्हें साँस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. देश के तमाम लोग हीरा बा के जल्दी ठीक होने की दुआ कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हीराबेन मोदी 18 जुलाई को 100 साल की हुई थी. अपनी माँ से जन्मदिन पर मिलने मोदी हर बार जाते थे. अपनी माँ के पैर छू कर दुआएं लेते थे.
बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि अब उनकी माँ इस दुनिया में नहीं रही है. लेकिन इस बार जब पीएम मोदी अपनी माँ से मुलाकात करने पहुँचे थे तो उन्होंने इस ख़ास मौक़े पर एक ब्लॉग भी शेयर किया था. इस ब्लॉग में पीएम मोदी ने अपनी माँ से बेहिसाब मोहब्बत और अपने बचपन की कुछ यादों के ज़िक्र किया था. आप चाहे तो इस ब्लॉग को www.narendramodi.in पर देख सकते हैं.
पीएम मोदी ने लिखा था कि, “माँ…. ये महज़ लफ़्ज़ नहीं है. माँ ज़िंदगी का वो हसीन एहसास है जिसमें मोहब्बत, एतबार, सब्र न जाने कितना जज़्ब होता है. आज इस ख़ास मौके पर मैं अपनी ख़ुशक़िस्मती… अपनी ख़ुशी आप सब से जाहिर करना चाहता हूँ.” इसके बाद पीएम मोदी ने अपनी माँ को सौवें साल में दाख़िल होने की मुबारकबाद दी थी. लेकिन इन तमाम बातों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने अपनी माँ की कुछ खास आदतों के बारे में भी ज़िक्र किया था.
पीएम मोदी ने कहा, ” मेरी माँ का बचपन मुफ़लिसी और तंगी में बीता।” आपको बता दें, हीराबेन की माँ किसी बीमारी में मुब्तिला थी जिसके चलते भी जल्दी ही दुनिया को छोड़ का चली गई थी. आलम ऐसा था कि मोदी की माँ को उनकी माँ का चेहरा, उनकी गोद… वो माँ से ज़िद करना…, आँचल में सिर छिपा लेना..,ये तमाम चीज़े नसीब नहीं हुई. उन्होंने आगे कहा, “मेरी माँ को अक्षर का ज्ञान भी नहीं मिल पाया। गरीबी और तंगी का बेहद बुरा दौर देखा थे मेरी माँ ने…”
” मेरी माँ परिवार में सबसे बड़ी थी जिसके चलते जिम्मदारियों ने मेरी माँ का साथ नहीं छोड़ा। जब मेरी माँ की शादी हुई तो वो ससुराल में भी बड़ी बहू की ही तरह दाखिल हुई थी. वडनगर के जिस छत में मेरी माँ का बचपन बीता… उसमें न तो खिड़की थी और न ही शौचालय… वो घर था मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छत से बना. ”
पीएम मोदी ने लिखा, “मेरी माँ को घर को सजाने का काफी शौक़ था. वो पूरा दिन घर के काम-काज में लगी रहती थी. घर में गोबर के उपले जलाने से खूब धुआंं उठता था…. खिड़की न होने के चलते पूरे घर में वो धुआं भर जाता था. इससे घर की दीवारें काली पड़ गई थी… मेरी माँ कुछ हफ़्तों के दरमियान ही दीवारों की पुताई किया करती थीं. इस तरह से घर की दीवारों में नयापन आ जाता था और घर में रोशनाई झलकने लगती थी.
“मेरी माँ मिट्टी की खूबसूरत कटोरियां बनाती थीं. इससे वो घर को सजाया करती थी. हमारे देश के लोग पुरानी चीजों को कमलायक चीज़ में तब्दील करने में काफी आगे हैं… और मेरी माँ तो इस चीज़ को बाखूबी जानती थी.
” मेरी माँ को घर को सजाने का काफी शौक़ तो था ही.. ऐसे में वो इसके लिए नए-नए तरक़ीब पनाती थी. पुराने कागजों को भिगोकर उसे शीशे के टुकड़े में लगाकर दीवारों पर सजाती थी. इससे घर की दीवारों पर रौनक आ जाती थी… मेरी माँ बाजार से घर को सजाने के लिए कुछ न कुछ सामान लाकर दीवारों पर चित्रकारी भी किया करती थीं…
” यूँ तो 70 से 80 साल के ज्यादातर लोग तक जाते हैं और काम-काज से दूर हो जाते हैं लेकिन मेरी माँ ऐसी नहीं थी. वो पूरे दिन घर के काम में ही मसरूफ़ रहती थी. जब भी मैं गाँधीनगर जाता हूँ वो मुझे मिठाई खिलाती हैं. उसके बाद आज भी रूमाल से मेरा मुँह जरूर पोछती हैं. इसके लिए वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी के माँ का अंतिम संस्कार विधिवत पूरा किया जा चुका है. उनकी चिता को पहले उनके बड़े बेटे सोमभाई ने मुखाग्नि दी है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर बाकी भाइयों ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी।
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