MP: मध्यप्रदेश से लगातार मदरसों में फर्जी दाख़िले की ख़बरें सामने आ रही है. एमपी के विदिशा से एक और मदरसे में गैर-मुस्लिम बच्चों के दाख़िले का मामला निकला है. आपको बता दें, बीते दिनों NCPCR ने भी तमाम राज्यों और एक यूनियन टेरिटरी से दरख़्वास्त की थी कि मान्यता प्राप्त मदरसों की जाँच की जाए. NCPCR को पहले से ही इस बात की खबर लग गई थी कि कुछ मदरसे गैर मुस्लिम बच्चों को दाख़िला देने का काम रहे हैं.
बरकतउल्ला मदरसे में कुल 41 बच्चों में से 27 बच्चे हिंदू पाए गए हैं. यही नहीं इन बच्चों में से 11 बच्चों का फर्ज़ी दाख़िला भी किया गया था. यह मामला उठने के बाद ज़िला शिक्षा अफ़सर जीपी राठी ने तहक़ीकत की गुज़ारिश की है.
बता दें, अक्टूबर माह में भी इसी इलाक़े के मरियम मदरसे में हिंदू बच्चों के दाखिले और बच्चों के नाम दर्ज होने की शिकायत मिली थी. मदरसे में दाख़िला तलबे में से एक बच्चे का नाम अजय है जो मदरसे ने कक्षा आठवीं में पढ़ रहा है. बच्चे के पिता शंकर का कहना है कि मदरसे में उनके बच्चे को वज़ीफ़ा देने की बात कही जा रही थी लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी तरीके की रकम नहीं मिली है. हद तो तब हो गई जब… मदरसे में 2 बच्चे ऐसे पाए गए जिनकी शादी हो चुकी है, लेकिन फिर भी उसका नाम आठवीं में दर्ज है.
NCPCR सदर प्रियांक कन्नू ने सभी अहम सचिवों को पत्र लिखते हुए कहा था कि “गैर -मुस्लिम समुदाय के बच्चे सरकार तरफ से मदद हासिल करने वाले और मान्यता प्राप्त मदरसों में दाखिला ले रहे हैं. जिसकी तफ्तीश होनी चाहिए। नतीजतन NCPCR ने 30 दिन में रिपोर्ट पेश करने को कहा था और अब इसके बाद ऐसे मामलों का ख़ुलासा हो रहा है.
उन्होंने कहा था कि “कमीशन को इस बारे में भी तस्दीक हुई है कि कुछ राज्य और यूनियन टेरिटरी इस तरह के तमाम बच्चों को पैसे मुहैया कराने का भी काम कर रहे हैं. इन बच्चों को बाकायदा कुछ वेतन/छात्रवृति भी दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक़ यह सभी तालीमी इदार बच्चों को मज़हबी और कुछ हद तक औपचारिक तालीम मुहैया कराने का काम कर रहे हैं.
इस ख़त में इल्तिज़ा की गई है कि “यह जाहिर तरीके से संविधान के अनुच्छेद 28 (3) के खिलाफ जाता है, जो शैक्षिक संस्थानों समेत तालीमी इदारों को किसी धार्मिक शिक्षा व मजहबी तालीम में शरीक लेने के लिए बच्चों को रोकता है.”
इस मामले में कमीशन ने कहा था कि संस्थानों/मदरसों/इदारे के तौर पर ये बच्चों को बच्चों को मजहबी तालीम दे रहे हैं. आयोग ने कहा था है कि जो मदरसे सरकारी मदद हासिल करते हैं याफिर मान्यता प्राप्त हैं, वे धार्मिक और कुछ हद तक रस्मी तालीम (कर्मकांडी शिक्षा) यानी दोनों तरीके की शिक्षा तालीम मुहैया कराते पाए गए हैं.
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