चंडीगढ़: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह इस वक़्त खबरों में सबसे टॉप पर है। अमृतपाल सिंह ने भले ही कहा हो कि उनका पहनावा जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसा नहीं है, वह सामान्य कपड़े पहनता हैं लेकिन अमृतपाल सिंह ने खुद को जरनैल सिंह भिंडरावाले 2.0 के रूप में ब्रांड करने की कोशिश की। जी हाँ, अमृतपाल सिंह ने दोहराया कि उनके अंदर खालिस्तान की भावना हमेशा कायम रहेगी, इसे कोई भी दबा नहीं सकता। उसका कहना है कि वह पंजाब की अस्मिता के लिए लड़ाई करता रहेगा।
जानकारी के लिए बता दें, खालिस्तान के समर्थन में एक बार अमृतपाल सिंह ने मोगा, पंजाब के रोडे गांव में मंच से कहा था: हम सब (पंजाबी) आज भी गुलाम हैं. जो लोग सोचते हैं कि हम “स्वतंत्र” हैं उन्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए। हमें आजादी के लिए लड़ना है। हमारा पानी लुट रहा है। हमारे शिक्षक का अपमान किया गया। हम उन्हें दंड देंगे।
अमृतपाल सिंह के विचार किस प्रकार पंजाब के विभाजन और देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं, नीचे दिए गए बिंदुओं से विस्तार से समझिए।
1. आपको बता दें, अमृतपाल सिंह भारत के संविधान पर यकीन नहीं करता हैं। उसने सिखों के लिए अलग संविधान बनाने की बात कही। उसका कहना है कि उन्हें देश के कानून पर भरोसा नहीं है। यह केवल गुरु से निर्देश प्राप्त करने की बात करता है। अमृतपाल के मुताबिक भारत का मौजूदा संविधान सिखों को गुलामी करना सिखाता है।
2. अमृतपाल सिंह का कहना है कि खालिस्तानी विचार रखना खतरनाक नहीं है। हम उत्पीड़न और पीड़ा को समाप्त करने की बात करते हैं। मुझ पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। अजनाला में हिंसा इसलिए हुई क्योंकि मेरे खिलाफ एक फर्जी FIR दर्ज की गई थी।
3. ब्रिटेन में रहने वाले अवतार सिंह कथित तौर पर अमृतपाल सिंह की तलाश कर रहे हैं। वह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के जगजीत सिंह, परमजीत सिंह पम्मा के करीबी हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक अमृतपाल सिंह का इस्तेमाल वहीं से पंजाब के युवाओं को ठगने के लिए किया जा रहा है।
4. अमृतपाल सिंह संधू ने अपना पूरा बचपन अमृतसर के पास जल्लूपुर खेड़ा गांव में बिताया। वहीं, पॉलिटेक्निक से ग्रेजुएशन करने के बाद 2012 में 19 साल की उम्र में उसने अपना गांव छोड़ दिया। बाद में वह दुबई में अपने पिता की ट्रांसपोर्ट कंपनी से जुड़ गया ।
5. एक युवा के रूप में, अमृतपाल सिंह के विचार बदल गए जब उन्होंने 1984 में स्वर्ण मंदिर में मारे गए सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के एक ऑडियो टेप को सुना। वह भिंडरावाले के टेप को घंटों सुना करता था। इसके बाद उसने अपना सोशल मीडिया प्रोफाइल बदलना शुरू कर दिया और अपने कट्टरपंथी विचारों को साझा करना शुरू कर दिया। इससे उनकी सोशल मीडिया फॉलोइंग बढ़ गई।
6. सोशल मीडिया पर प्रचार करने के बाद अमृतपाल सिंह ने राज्य के रसूखदारों से मिलने की रणनीति बनानी शुरू कर दी, जिसके जरिए अमृतपाल ने खुद को पंजाब के राजनीतिक और धार्मिक हलकों में स्थापित करने के पुरजोर प्रयास किए।
7. अमृतपाल ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में बड़े विरोध प्रदर्शनों और कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतपाल सिंह ने अक्टूबर 2015 में फरीदकोट में बेहबल इंसाफ मोर्चा के जरिए अपना अभियान शुरू किया था।
8. जानकारी के मुताबिक इसके बाद से उसने खुद को कट्टरवादी के तौर पर प्रचारित करना शुरू कर दिया। और आनंदपुर साहिब में एक औपचारिक सिख बपतिस्मा समारोह आयोजित किया। इसमें सैकड़ों सिखों ने भाग लिया। इस नंबर को देखकर खुफिया एजेंसियां हैरान रह गईं।
9. बाद में जब वे पगड़ी बांधने की रस्म के लिए भिंडरावाले की जन्मस्थली रोडे गांव गए तो वहां करीब 7,000 समर्थकों की भीड़ थी। अमृतपाल सिंह के अधिकांश अनुयायी 25-30 आयु वर्ग के हैं। अमृतपाल के एक इशारे पर हजारों की संख्या में समर्थक उमड़ पड़े।
10 अमतपाल सिंह के शब्द हैं: “भिंडरावाले की पारंपरिक सिख पोशाक और अन्य सिख प्रतीकों को देखकर कोई तुलना कर सकता है, लेकिन यह गलत है। मैं सामान्य कपड़े पहनता हूं। मैं भिंडरावाले की तरह नहीं हूं।”
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