नई दिल्ली: भारत दुनियाभर में फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में आगे है. वहीं दुनियाभर के देश अपनी दवा संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की सहायता लेते हैं. भारत ने कोविड-19 के दौरान कई देशों को वैक्सीन मुहैया कराई, लेकिन बीते कुछ समय से भारत में निर्मित कफ सिरप की दवा को लेकर प्रश्न […]
नई दिल्ली: भारत दुनियाभर में फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में आगे है. वहीं दुनियाभर के देश अपनी दवा संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की सहायता लेते हैं. भारत ने कोविड-19 के दौरान कई देशों को वैक्सीन मुहैया कराई, लेकिन बीते कुछ समय से भारत में निर्मित कफ सिरप की दवा को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में कफ सिरप बनाने वाली 50 से अधिक कंपनियां क्वालिटी टेस्ट में विफल रही हैं. सीडीएससीओ की एक रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों में किए गए प्रयोगशाला परीक्षणों का हवाला देते हुए बताया गया है कि भारत निर्मित कफ सिरप को विश्व स्तर पर 141 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
सीडीएससीओ द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक परीक्षण किए गए 1,105 नमूनों में से 59 नमूने मानक गुणवत्ता पर विफल रही. सीडीएससीओ द्वारा नवंबर में चिकित्सा उपकरणों, दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की एक सूची के तहत रिपोर्ट जारी की गई थी जिसमें मानक गुणवत्ता में नकली या मिलावटी या गलत ब्रांडेड घोषित किया गया था।
निर्मित कफ सिरप के सेवन के बाद यह कदम भारत में विश्व स्तर पर कई मौतों की सूचना मिलने के बाद उठाया गया है. इन मौतों के बाद निर्यातकों के लिए व्यापार डीजीएफटी ने कफ सिरप की गुणवत्ता पर सरकारी मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था. सीडीएससीओ ने डीजीएफटी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कफ सिरप के उन सभी बैचों का परीक्षण कर रहा है जो निर्यात की अनुमति चाहते हैं।
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