बुखार में सामान्य इस्तेमाल की जाने वाली पैरासिटामॉल टैबलेट अब क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई है। इसके अलावा, कई अन्य दवाएं जैसे कैल्शियम
नई दिल्ली: बुखार में सामान्य इस्तेमाल की जाने वाली पैरासिटामॉल टैबलेट अब क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई है। इसके अलावा, कई अन्य दवाएं जैसे कैल्शियम, विटामिन डी और एंटी डायबिटीज की दवाएं भी इस लिस्ट में शामिल हैं। यह जानकारी केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अगस्त महीने में अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर साझा की है। इस सूची में 50 से अधिक दवाएं हैं जो मानक गुणवत्ता के अनुसार नहीं पाई गईं।
हर महीने विभिन्न राज्यों से दवाओं के सैंपल लिए जाते हैं और उनकी जांच की जाती है। पहले भी जून में एक ऐसी ही सूची जारी की गई थी, जिसमें 52 दवाओं का नाम था। हाल ही में विटामिन सी, विटामिन डी3, एंटीएसिड पैन-डी, और डायबिटीज की दवा ग्लिमेपिराइड जैसी दवाएं भी इस बार क्वालिटी टेस्ट में फेल पाई गईं।
– एल्केम हेल्थ साइंस
– मेज लाइफसाइंसेंस
– प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड
– स्कॉट एडिल लिमिटेड
सरकारी डेटा में इन दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट, बैच नंबर, और प्रोडक्ट नाम की जानकारी उपलब्ध है। खासतौर पर, मेसर्स कर्नाटक एंटीबॉयोटिक्स एंड फार्मा द्वारा निर्मित 500 एमजी पैरासिटामॉल टैबलेट भी गुणवत्ता जांच में विफल पाई गई है।
कोलकाता की एक दवा परीक्षण प्रयोगशाला ने एल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक्स क्लैवम 625 और पैन डी को नकली बताया है। इसके अलावा, हैदराबाद स्थित हेटेरो की सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन भी घटिया पाई गई है, जो गंभीर जीवाणु संक्रमण वाले बच्चों के लिए निर्धारित की जाती है।
इन दवाओं की गुणवत्ता में कमी स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हो सकती है। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे इन दवाओं का सेवन करने से पहले अच्छी तरह जांच-पड़ताल करें और हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से ही दवाएं खरीदें।
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