लखनऊ। लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में छजलैट थाना के दूल्हेपुर गांव में एक घर में सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ने पर केस दर्ज हो गया है जिसको लेकर हंगामा बढ़ रहा है. नमाज पढ़ने वाले 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसे लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. इसी बीच एआईएमआईएम […]
लखनऊ। लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में छजलैट थाना के दूल्हेपुर गांव में एक घर में सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़ने पर केस दर्ज हो गया है जिसको लेकर हंगामा बढ़ रहा है. नमाज पढ़ने वाले 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसे लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. इसी बीच एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर पीएम मोदी से सवाल भी दागे है. साथ ही कुछ और मुस्लिम नेता भी सवाल कर रहे है।
इन सबके बीच एक अहम सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर कानून क्या कहता है, पुलिस ने किस आधार पर कार्रवाई की है, पुलिस सही है या गलत? ऐसे तमाम सवालो का जवाब आज हम आपको विस्तार से बताएंगे..
बता दें कि इस मामले में बहुत से मुस्लिम नेता इस बात को लेकर मुद्दा बना रहे हैं कि घर में नमाज पढ़ने में क्या दिक्कत हैं. अब ये जानना जरूरी है कि घर में नमाज पढ़ने पर कानून क्या कहता है। वहीं, इस मसले पर मुरादाबाद के कांठ से एसडीएम जगमोहन गुप्ता ने कहा कि, “निजी संपत्ति में अकेले या परिवार के साथ नमाज पढ़ना गलत नहीं है. लेकिन ऐसे सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है. परिवार से बाहर के लोग और ज्यादा संख्या में लोग घर में नमाज पढ़ने के लिए प्रशासन से परमीशन की जरूरत होती है. एक परिवार के लोग घर में नमाज पढ़ सकते हैं, फिर चाहे परिवार में 7-8 लोग ही क्यों न हों, लेकिन बिना अनुमति के इधर-उधर से लोग इकट्ठा होकर किसी के घर में नमाज पढ़ना ठीक नहीं है. क़ानूनी के मुताबिक निजी संपत्ति पर सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं. इसके लिए मस्जिद बनी हुई है.
वहीं, अब अहम सवाल ये खड़ा होता है कि मंदिर, मस्जिद भी सार्वजनिक संपत्ति की श्रेणी में आते हैं. लेकिन कानून इन जगहों पर नमाज या पूजा की अनुमति देता है. ऐसे में लोग इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं कि जब सार्वजनिक संपत्ति पर नमाज पढ़ने की अनुमति है तो लुलु मॉल में नमाज पढ़ने पर हंगामा क्यों हुआ था, वो भी तो सार्वजनिक संपत्ति है. हालांकि, कानून इसका भी अंतर बताता है. इस मसले पर कुछ वरिष्ठ वकीलों ने बताया कि मॉल, अस्पताल, मंदिर-मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल, सिनेमा हॉल, अदालतें, बारात घर या पार्क सार्वजनिक स्थल की कैटेगरी में आते हैं. इनका निर्माण खास मकसद से होता है. इन सब में अलग-अलग सेवाओं के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है।
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