Parliament Monsoon Session 2018: क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव और क्या हैं इससे जुड़े नियम, जानिए सब कुछ

Parliament Monsoon Session 2018: केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया जिस पर आज चर्चा होनी है. इस खबर में जानिए क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव और क्या हैं इसके नियम और पहली बार किसकी सरकार में किसने पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव.

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Parliament Monsoon Session 2018: क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव और क्या हैं इससे जुड़े नियम, जानिए सब कुछ

Aanchal Pandey

  • July 20, 2018 9:09 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल का आखिरी मानसून संसद सत्र 18 जुलाई से शुरू हो चुका है. सत्र के शुरुआत से ही सदन में जोरदार हंगामा हुआ. विपक्षी पार्टियों ने सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन सरकार को कई मुद्दों पर घेरते हुए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है. अब 20 जुलाई यानी आज संसद में इस पर चर्चा होगी. 

क्या है अविश्वास प्रस्ताव
आपको बता दें कि संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं है. लेकिन अनुच्छेद 118 के अंतर्गत हर सदन अपनी प्रक्रिया बना सकता है जबकि नियम 198 के तहत ऐसी व्यवस्था है कि कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है. जिस तरह मंगलवार 18 जुलाई को टीडीपी और कांग्रेस सदस्यों ने दिया. 
ऐेसे पारित होता है प्रस्ताव
अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष को इसके बारे में लिखित रूप में सूचना देनी होती है. जिसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद को इसे पेश करने के लिए कहता/ कहती है. ऐसा तब होता है  जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन में अपना विश्वास या बहुमत खो चुकी है. फिलहाल लगभग सभी विपक्षी दल एकजुट होते नजर आ रहे हैं. 
क्या होता है इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद

अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल होना चाहिए तभी उसे स्वीकृति मिल सकती है. लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर की मंजूरी मिलने के बाद 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा कराई जाती है. जिसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कराता है या फिर कोई फैसला ले सकता है. 

ये पहली बार होगा जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है. इससे पहले मार्च में भी इस प्रस्ताव को मार्च में भी लाए जाने की बात हुई थी लेकिन विपक्ष एकजुट नहीं दिखा था. आपको बता दें कि पहला अविश्वास प्रस्ताव पंडित नेहरू के कार्यकाल में अगस्त 1963 में जे बी कृपलानी ने रखा था. तब इस प्रस्ताव में केवल 62 वोट पड़े थे और विरोध में 347 वोट पड़े थे और सरकार चलती रही थी. 

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