नई दिल्ली: मई का आधा से अधिक वक़्त बीत चुका है और जून लगभग आ चुका है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। गर्म हवाओं के बीच देश के कई राज्यों में तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में लोगों को मानसून […]
नई दिल्ली: मई का आधा से अधिक वक़्त बीत चुका है और जून लगभग आ चुका है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। गर्म हवाओं के बीच देश के कई राज्यों में तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में लोगों को मानसून और बारिश का इंतजार रहता है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून थोड़ा विलंब से आएगा। केरल में 4 जून से मानसून की शुरुआत हो सकती है। इस पर 4 दिन पहले या बाद होने की उम्मीद होती है।
मानसून एक मौसमी हवा है जो बारिश लाती है, मानसून वह हवा है जो अरब सागर से भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट की ओर आती है। जिससे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा होती है। ये मौसमी हवाएँ हैं जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में जून से सितंबर तक यानी चार महीने तक सक्रिय रहती हैं। दूसरे शब्दों में, मानसून शब्द का उपयोग वर्षा के उस चरण को शामिल करने के लिए किया जाता है जो मौसमी रूप से बदलते पैटर्न के साथ होता है।
यह शब्द पहली बार ब्रिटिश भारत और पड़ोसी देशों में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं को शामिल करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। ये हवाएँ इस क्षेत्र में भारी बारिश लाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि मौसम विभाग कैसे तय करता है कि मानसून आ गया है। आपको बता दें कि भारत में सामान्य मानसून आमतौर पर 1 जून को केरल पहुंचता है। मानसून के पहले या बाद में आगमन को प्री-मानसून कहा जाता है।
IMD की मानें तो, इस बार मानसून देरी से आने की खबर है क्योंकि मौसम विभाग का पूर्वानुमान के मुताबिक 4 जून को मानसून दस्तक देने वाला है। भारतीय मौसम विभाग देश में उस वक़्त मानसून आने की घोषणा करता है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मानसून की शुरुआत हो जाती है। जब यहां लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो। ऐसे में IMD मानसून के आने की खबर पक्का कर देता है।