नई दिल्ली: उत्तर भारत के मैदानी इलाके इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है. इसी बीच अच्छी खबर ये है कि दक्षिण पश्चिम मानसून ने सामान्य समय से एक हफ्ते बाद दस्तक दे दी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने गुरुवार को मानसून के केरल आगमन की घोषणा की है. आइए जानते हैं गर्मी […]
नई दिल्ली: उत्तर भारत के मैदानी इलाके इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है. इसी बीच अच्छी खबर ये है कि दक्षिण पश्चिम मानसून ने सामान्य समय से एक हफ्ते बाद दस्तक दे दी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने गुरुवार को मानसून के केरल आगमन की घोषणा की है. आइए जानते हैं गर्मी से जूझते मैदानी इलाकों में मानसून कब दस्तक देगा.
गुरुवार को IMD ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि, “दक्षिण-पश्चिम मानसून आज यानी 8 जून को केरल में आ गया है।” पिछले साल दक्षिण-पश्चिम मानसून 29 मई को केरल पहुंचा था. जिसके पहले 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन हुआ था. ऐसे में मानसून में देरी का मतलब उत्तर पश्चिम भारत में मानसून की शुरुआत में देरी है. अर्थात इस बार मानसून तय समय से कुछ समय बाद उत्तर भारत में प्रवेश करेगा. हालांकि आम तौर पर मानसून केरल में 1 जून को पहुंच जाता है. इस बार ये सात दिन लेट से पहुंचा है.
आईएमडी ने मई के मध्य में कहा था कि चार जून के आसपास मानसून केरल में पहुंच सकता है. दूसरी ओर ‘स्काईमेट’ ने सात जून को मानसून के केरल में पहुंचने की उम्मीद जताई थी. पिछले 150 वर्षों में जुटाए गए आंकड़े बताते हैं कि हर साल केरल में मानसून प्रवेश की शुरुआत की तारीख अलग रही है. 1918 में ये मई में ही केरल में प्रवेश कर जाता था. साल 1972 में मानसून केरल में सबसे लेट पहुंचा था जिसकी तारीख 18 जून थी.
इसका सीधा-सीधा अर्थ ये है कि इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून का आगमन देर से होगा. आईएमडी ने पहले बताया था कि इस साल ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बाद भी भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में सामान्य बारिश हो सकती है. हालांकि उत्तर पश्चिम भारत में कम बारिश होने की उम्मीद जताई गई है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा हो सकती है.